69000 teachers recruitment: 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने सोमवार को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास का घेराव किया। हजारों की संख्या में पहुंचे अभ्यर्थियों ने उपमुख्यमंत्री के आवास के बाहर जमकर धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान अभ्यथियों ने ‘योगी जी न्याय करो, केशव चाचा न्याय करो’ के नारे भी लगाए।
69000 teachers recruitment: अभ्यर्थियों ने किया डिप्टी सीएम के आवास घेराव
अभ्यर्थियों के प्रदर्शन को लेकर उपमुख्यमंत्री के आवास के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। प्रदर्शन के दौरान पुलिसकर्मियों और अभ्यर्थियों के बीच झड़प भी हुई। पुलिस ने बल प्रयोग कर अभ्यर्थियों को रोकने का प्रयास किया। अभ्यर्थी 69000 शिक्षक भर्ती प्रकरण में नियुक्ति और हाईकोर्ट के आदेश का पालन किए जाने की मांग कर रहे हैं।
प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि 96000 शिक्षक भर्ती मामले में उच्च न्यायालय का जो निर्णय आया है। सरकार उसे जल्द लागू करें और आरक्षित वर्ग अभ्यर्थियों के साथ न्याय करे। इसके साथ ही दागी अफसरों को हटाकर तत्काल नए अधिकारियों की नियुक्ति की जाए। ताकि पूरी भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से हो सके।
69000 teachers recruitment : प्रदर्शन के बीच अभ्यर्थी को पड़ा दिल का दौरा
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास के बाहर 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी दौरान एक अभ्यर्थी इरशाद को अचानक दिल का दौरा पड़ गया है। जिसके बाद वहां मौजूद अन्य अभ्यर्थियों और पुलिसकर्मियों में हड़कंप मच गया। इरशाद को आनन-फानन में उपचार के लिए सिविल अस्पताल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने जांच के बाद अभ्यर्थी इरशाद को केजीएमयू रेफर कर दिया है। चिकित्सकों का कहना है कि केजीएमयू में इरशाद की एंजियोप्लास्टी होगी।
‘69000 teachers recruitment : आरक्षण नियमावली का हुआ उल्लंघन’
शिक्षक भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27% जगह मिली है, जबकि एससी वर्ग के अभ्यार्थियों को 3.86% जगह मिली है. इसमें 21% की जगह सिर्फ 16.2% आरक्षण मिला है. शिक्षक भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का घोर उल्लंघन हुआ है.
सरकार ने इस भर्ती में 19000 सीटों पर आरक्षण का घोटाला करके इस भर्ती में ऐसे 19000 अभ्यर्थियों का चयन कर लिया है, जिन्हें इस भर्ती प्रक्रिया में होना ही नहीं चाहिए था. जिन ओबीसी-एससी के अभ्यर्थियों को इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल होना चाहिए था. वह पिछले 4 साल से न्याय के लिए धरना प्रदर्शन करते हुए नेताओं के यहां जाकर न्याय की गुहार लगा रहे हैं. मंत्रियों के जनता दरबार में प्रार्थना पत्र देने, मंत्री, विधायक, सांसद आदि से मिलकर न्याय पाने की हर जुगत लगा चुके हैं. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
69000 teachers recruitment : क्या है पूरा मामला और कहां से शुरू हुआ विवाद
उत्तर प्रदेश में जब अखिलेश सरकार थी, तब 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में समायोजित कर दिया गया था. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और समायोजन को रद्द कर दिया गया. यानी अखिलेश सरकार ने जिन शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बना दिया था, वह फिर से शिक्षामित्र बन गए. अब इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 1 लाख 37 हजार पदों पर भर्ती का आदेश योगी सरकार को दिया. योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हम एक साथ इतने पद नहीं भर सकते हैं. फिर सुप्रीम कोर्ट ने दो चरण में सभी पदों को भरने का आदेश दिया. इस आदेश के बाद योगी सरकार ने 2018 में पहले 68500 पदों के लिए वैकेंसी निकाली. इसके बाद दूसरे चरण की भर्ती थी 69000 सहायक शिक्षक भर्ती.
69000 teachers recruitment : कहां से शुरू हुआ विवाद?
69 हजार सहायक शिक्षक पदों के लिए निकली इस भर्ती की परीक्षा 6 जनवरी 2019 को हुई. इस भर्ती के लिए अनारक्षित की कटऑफ 67.11 फीसदी और ओबीसी की कटऑफ 66.73 फीसदी थी. इस भर्ती के तहत करीब 68 हजार लोगों को नौकरी मिली.
लेकिन यहीं से यह सवाल उठा कि 69 हजार भर्ती में आरक्षण नियमों को लेकर अनदेखी की गई. बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन सही से नहीं किया गया. 69000 भर्ती के अभ्यर्थी जो इस विरोध के साथ आंदोलन के लिए सड़क पर उतरे, उनका कहना था कि इस नियमावली में साफ है कि कोई ओबीसी वर्ग का अभ्यर्थी अगर अनारक्षित श्रेणी के कटऑफ से अधिक नंबर पाता है तो उसे ओबीसी कोटे से नहीं बल्कि अनारक्षित श्रेणी में नौकरी मिलेगी. यानी वह आरक्षण के दायरे में नहीं गिना जाएगा.
इसके बाद से 69 हजार शिक्षक भर्ती का पेच उलझ गया. आंदोलनरत अभ्यर्थियों ने दावा किया कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27% की जगह मात्र 3.86% आरक्षण मिला यानी ओबीसी वर्ग को 18598 सीट में से मात्र 2637 सीट मिलीं. जबकि उस वक्त सरकार का कहना था कि करीब 31 हजार ओबीसी वर्ग के लोगों की नियुक्ति की गई. सरकार के इस बयान पर अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा नियमावली-1981 का तथा आरक्षण नियमावली 1994 का हवाला देते हुए कहा कि ओबीसी वर्ग के जिन 31 हजार लोगों को नियुक्ति दी गई है,
उनमें से करीब 29 हजार अनारक्षित कोटे से सीट पाने के हकदार थे. प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों ने कहा कि हमें 29 हजार ओबीसी वर्ग के लोगों को आरक्षण के दायरे में जोड़ना ही नहीं चाहिए. ठीक इसी तरह अभ्यर्थियों का आरोप है कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में से एससी वर्ग को भी 21% की जगह मात्र 16.6% आरक्षण मिला. अभ्यर्थियों ने दावा किया कि 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में करीब 19 हजार सीटों का घोटाला हुआ. इसको लेकर वह हाईकोर्ट भी गए और राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग में भी शिकायत की