69000 Teachers Recruitment : उच्चतम न्यायालय में 69000 हजार शिक्षक भर्ती मामले में दायर की गयी याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश निलंबित रहेगा। मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि इस मामले में लिखित नोट दाखिल करें। इस पर अगली सुनवाई की जाएगी। इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 25 सितंबर की तिथि रखी गयी है।
उच्चतम न्यायालय ने यूपी सरकार और दोनों पक्षों से कहा है कि वह इस मामले में लिखित दलीलें पेश करें। उच्च न्यायालय के निर्णय के अध्ययन के लिए समय चाहिए। उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में जून 2020 और जनवरी 2022 की चयन सूची को रद्द करते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह तीन माह के भीतर 2019 में हुई सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के आधार पर 69000 शिक्षकों के लिए नई चयन सूची जारी करे।
69000 Teachers Recruitment : हाईकोर्ट के फैसले पर SC ने लगाई रोक
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि शिक्षक भर्ती मामले के कानूनी पहलुओं को परखने के बाद ही कोर्ट आदेश देगा। उच्च न्यायालय ने आरक्षण नियमों का पालन न होने के आधार पर मेरिट लिस्ट रद्द कर दिया था। लेकिन इसका असर करीब 19 हजार ऐसे शिक्षकों पर पड़ सकता है जोकि बीते चार सालों से नौकरी कर रहे हैं। उच्चतम न्यायालय ने दोनों पक्षों से कहा कि वह अधिकतम सात-सात पन्नों में अपनी लिखित दलीलें कोर्ट के समक्ष पेश करें। न्यायालय ने इसके लिए दो नोडल वकील भी तय किए हैं। उच्चतम न्यायालय ने यूपी सरकार से भी जवाब दाखिल करने को कहा है।
69000 Teachers Recruitment : क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश में जब अखिलेश सरकार थी, तब 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में समायोजित कर दिया गया था. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा और समायोजन को रद्द कर दिया गया था. यानी अखिलेश सरकार ने जिन शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बना दिया था, वह फिर से शिक्षामित्र बन गए. अब इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 1 लाख 37 हजार पदों पर भर्ती का आदेश योगी सरकार को दिया. योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हम एक साथ इतने पद नहीं भर सकते हैं. फिर सुप्रीम कोर्ट ने दो चरण में सभी पदों को भरने का आदेश दिया. इस आदेश के बाद योगी सरकार ने 2018 में पहले 68500 पदों के लिए वैकेंसी निकाली. इसके बाद दूसरे चरण की भर्ती थी 69000 सहायक शिक्षक भर्ती.
69000 Teachers Recruitment : कहां से शुरू हुआ विवाद?
69 हजार सहायक शिक्षक पदों के लिए निकली इस भर्ती की परीक्षा 6 जनवरी 2019 को हुई. इस भर्ती के लिए अनारक्षित की कटऑफ 67.11 फीसदी और ओबीसी की कटऑफ 66.73 फीसदी थी. इस भर्ती के तहत करीब 68 हजार लोगों को नौकरी मिली. लेकिन यहीं से यह सवाल उठा कि 69 हजार भर्ती में आरक्षण नियमों को लेकर अनदेखी की गई. बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन सही से नहीं किया गया. 69000 भर्ती के अभ्यर्थी जो इस विरोध के साथ आंदोलन के लिए सड़क पर उतरे, उनका कहना था कि इस नियमावली में साफ है कि कोई ओबीसी वर्ग का अभ्यर्थी अगर अनारक्षित श्रेणी के कटऑफ से अधिक नंबर पाता है तो उसे ओबीसी कोटे से नहीं बल्कि अनारक्षित श्रेणी में नौकरी मिलेगी. यानी वह आरक्षण के दायरे में नहीं गिना जाएगा.
इसके बाद से 69 हजार शिक्षक भर्ती का पेच उलझ गया. आंदोलनरत अभ्यर्थियों ने दावा किया कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27% की जगह मात्र 3.86% आरक्षण मिला यानी ओबीसी वर्ग को 18598 सीट में से मात्र 2637 सीट मिलीं. जबकि उस वक्त सरकार का कहना था कि करीब 31 हजार ओबीसी वर्ग के लोगों की नियुक्ति की गई. सरकार के इस बयान पर अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा नियमावली-1981 का तथा आरक्षण नियमावली 1994 का हवाला देते हुए कहा कि ओबीसी वर्ग के जिन 31 हजार लोगों को नियुक्ति दी गई है, उनमें से करीब 29 हजार अनारक्षित कोटे से सीट पाने के हकदार थे. प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों ने कहा कि हमें 29 हजार ओबीसी वर्ग के लोगों को आरक्षण के दायरे में जोड़ना ही नहीं चाहिए.
ठीक इसी तरह अभ्यर्थियों का यह भी आरोप है कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में से एससी वर्ग को भी 21% की जगह मात्र 16.6% आरक्षण मिला. अभ्यर्थियों ने दावा किया कि 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में करीब 19 हजार सीटों का घोटाला हुआ. इसको लेकर वह हाईकोर्ट भी गए और राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग में भी शिकायत की.