Brijbhushan Sharan : कैसररंज लोकसभा से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह अब दिल्ली हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे हैं। बृजभूषण शरण सिंह ने उनपर चल रहे मुकदमों को रद्द करने की मांग की है। मालूम हो कि पूर्व सांसद ने सभी मामलों को रद्द करने के लिए याचिका दायर की है। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का भी आरोप है। वहीं, करीब सात धाराओं में आरोप भी तय किए गए थे।
Brijbhushan Sharan :FIR रद्द करवाने दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे बृजभूषण सिंह
दरअसल, बृजभूषण शरण सिंह ने अपनी याचिका में मांग की है कि दिल्ली की निचली अदालत द्वारा उनके खिलाफ तय किए गए आरोपों को भी खारिज किया जाए। याचिका पर गुरुवार को न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की अदालत में सुनवाई की है। महिला पहलवानों से कथित यौन उत्पीड़न का मामले में बृजभूषण सिंह को दिल्ली हाईकोर्ट से फिलहाल राहत नहीं दी है। 26 सितंबर को फिर से दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होगी।
कोर्ट ने कहा, आप चार्ज फ्रेम होने के बाद कोर्ट क्यों आए? हाईकोर्ट ने शार्ट नोट कोर्ट में जमा करने को कहा है। उनके खिलाफ छह महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न, मारपीट और पीछा करने के लिए 1,500 पन्नों की चार्जशीट में चार राज्यों के कम से कम 22 गवाहों के बयान शामिल थे। इनमें पहलवान, एक रेफरी, एक कोच और एक फिजियोथेरेपिस्ट शामिल थे। बृजभूषण शरण सिंह के द्वारा खुद को निर्दोष बताने के बाद निचली अदालत ने इस साल मई में उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 354 और 354ए (यौन उत्पीड़न) के तहत आरोप तय किए थे।
Brijbhushan Sharan : अंतरिम आदेश देने का कोई सवाल नहीं
इस बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने डब्ल्यूएफआई के निलंबन को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब देने के लिए केंद्र को चार सप्ताह का समय और दे दिया। याचिकाकर्ता ने कहा कि अनिश्चितकालीन निलंबन का आदेश कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना दिया गया था। याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से इस स्तर पर एक अंतरिम आदेश पारित करने का आग्रह किया। हालांकि, न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा कि दलीलें पूरी हुए बिना अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जा सकता। यहां अंतरिम आदेश देने का कोई सवाल ही नहीं है। दलीलों के बिना, मैं ऐसा नहीं कर सकता।