Bulldozer Baba : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कानून व्यवस्था और कड़ी कार्रवाई के लिए देश भर में चर्चित हैं। योगी की सरकार में माफियाओं और अपराधियों की संपत्तियों को जमींदोज करने के लिए बुलडोजर का प्रयोग किया जाने लगा। सीएम योगी का बुलडोजर एक्शन देश में चर्चा का विषय बन गया। यूपी में बुलडोजर एक्शन इतना चर्चित हुआ कि अन्य सरकारों ने भी इसका उपयोग करना शुरु कर दिया। महाराष्ट्र, दिल्ली और राजस्थान जैसे राज्यों में भी बुलडोजर चलता दिखाई दिया। इसी के चलते सीएम योगी को बुलडोजर बाबा की कथित उपाधि दे दी गई। मगर सीएम योगी यूपी के पहले बुलडोजर बाबा नहीं हैं। इनसे पहले उत्तर प्रदेश के ही एक पीसीएस अधिकारी हरदेव सिंह को ‘बुलडोजर बाबा’ कहा गया।
Bulldozer Baba : कई शहरों की बदली सूरत
इन दिनों उत्तर प्रदेश की राजनीति में बुलडोजर की उपयोगिता बढ़ती दिख रही है। भाजपा और खासकर सीएम योगी की रैली और जनसभाओं में भी लोग बुलडोजर लेकर पहुंच रहे हैं। मामले में पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से जमकर बयानबाजी होती है। विपक्षी दल इसे धर्म से जोड़ कर पेश करते हैं। मगर उत्तर प्रदेश के पहले बुलडोजर बाबा सीएम योगी नहीं बल्कि पसीएस अधिकारी हरदेव सिंह हैं। 90 के दशक में अपनी कार्यशैली से उन्होंने प्रदेश के बड़े माफियाओं को पानी पिलाया। उन्होंने राजनीति न करते हुए अवैध अतिक्रमण को हटावया और बनारस सहित कई शहरों की सूरत बदली।
Bulldozer Baba : खौफ खाते थे माफिया
उत्तर प्रदेश में ‘बुलडोजर बाबा’ के नाम से प्रख्यात रहे पीसीएस अधिकारी बाबा हरदेव सिंह का खौफ प्रदेश के सभी माफियाओं में था। उन्होंने कई शहरों में अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर का प्रयोग किया। कहा जाता है कि जिस जिले में उनकी तैनाती होती थी वहां लोग प्रशासन की कार्रवाई के पहले ही अवैध अतिक्रमण हटा लेते थे। वह अलीगढ़, मुरादाबाद, बरेली और प्रयागराज सहित कई जिलों में विभिन्न पदों पर तैनात रहे। इस दौरान उन्होंने खूब अतिक्रमण हटवाए। हरदेव सिंह चर्चा में तब आए जब उन्होंने प्रयागराज में बाबाओं के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलवाया।
Bulldozer Baba : कुंभ में चलवाया बुलडोजर
1994-95 के कुंभ मेले के दौरान हरदेव सिंह को अपर मेला अधिकारी बनाया गया था। इलाहाबाद में संगम और शहर को बांटने के लिए बांध था। बांध से लगे दारागंज और मीरापुर के इलाकों में कई मंदिर बनाए गए थे। इन मंदिरों के पुजारियों ने आसपास की जमीन पर कब्जा कर मकान बना लिए थे। अपर मेला अधिकारी रहे हरदेव सिंह ने इलाके में मंदिरों को छोड़कर सभी अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलवाया था। इस मामले में कई बाबाओं ने हाइकोर्ट का दरवाजे खटखटाया। मगर कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई से इनकार कर दिया।
Bulldozer Baba : माफिया ने डर से हटाया अतिक्रमण
गाजियाबाद में वह मुख्य नगर अधिकारी (अब नगर आयुक्त) के रूप में कार्यरत रहे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने ऐसी जगहों से अतिक्रमण हटवाया जहां पुलिस भी हार मान चुकी थी। नगर निगम के पास पार्क में अवैध अतिक्रमण को हटाने में पुलिस ने हार मान ली थी। पुलिस को उम्मीद नहीं थी कि इसे हटाया जा सकता है। हरदेव सिंह ने पार्क में दुकानदारों को दुकान खाली करने या कोर्ट से आदेश लाने को कहा। किसी को कोर्ट से आदेश नहीं मिला और पार्क को बुलडोजर से अतिक्रमण मुक्त किया गया। इसी जिले में माफिया से सांसद बने डीपी यादव भी हरदेव सिंह के रडार में आए। हरदेव सिंह ने सांसद के अवैध अतिक्रमण पर लाल निशान लगवाया। साथ ही बुलडोजर लाने की चेतावनी दी। इससे पहले की प्रशासन की तरफ से बुलडोजर आता माफिया से सांसद बने डीपी सिंह ने अवैध अतिक्रमण खुद ही हटा लिया।
Bulldozer Baba : चलने लायक बनाईं बनारस की गलियां
बनारस की गलियां देश ही नहीं विदेश में भी मशहूर हैं। मगर एक वक्त था जब बनारस की गलियों में चलना भी दूभर हो गया था। दुकान और मकान बना कर लोगों ने बनारस की पतली गलियों को और पतला कर दिया था। पैदल चलने में भी लोगों को दिक्कत हो रही थी। 1997-98 में मुख्य नगर अधिकारी और वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रहे हरदेव सिंह ने यहां भी बुलडोजर चलवाया। उन्होंने अतिक्रमण करने वालों को साफ चेतावनी दी। आदेश जारी किया गया कि सड़क पर नालियां, दुकान या मकान से ढकी नहीं होंगी। घरों के छज्जे सड़क पर नहीं होने चाहिए। ऐसा हुआ तो नगर निगम उन्हें तोड़ेगा। साथ ही तोड़ने और मलबा ढोने का खर्च भी लोगों से ही लिया जाएगा। आदेश के बाद लोगों ने खुद ही गलियां खाली कर दीं।
Bulldozer Baba : अलीगढ़ में युवाओं ने दिया ‘बाबा’ उपनाम
नौकरी के दौरान हरदेव सिंह की तैनाती अलीगढ़ में भी रही। उनसे प्रभावित होकर युवकों ने सफाई अभियान चलाया। इस अभियान में हरदेव सिंह को भी निमंत्रण दिया गया। कार्यक्रम में शामिल होने पर उन्होंने युवाओं को संबोधित किया। उनसे प्रभावित युवाओं ने उन्हें अपने घर के बड़े- बुजुर्ग जैसी इज्जत दी। साथ ही कहा कि हरदेव सिंह का काम घर के बाबा जैसा है। इसलिए उनको बाबा उपनाम दिया गया। बाद में उनके नाम के साथ बाबा जुड़ गया। अब वह बाबा हरदेव सिंह के नाम से जाने जाते हैं।