Jharkand : दशहरा एक हिंदू त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है। इस दिन, हिंदू भक्त रावण का पुतला बनाकर उसे जलाते हैं, जिसे अधर्म का प्रतीक माना जाता है। लेकिन भारत में एक ऐसी जगह भी है जहाँ रावण दहन नहीं होता।
Jharkhand: देवघर में नहीं होता रावण दहन
Jharkhand: देवघर, झारखंड में स्थित एक प्रमुख हिंदू तीर्थस्थल है। ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग में रावण ने अपनी तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया और उन्हें अपने गृहनगर लंका आने को कहा। भगवान शिव सहमत हो गए और कैलाश से लंका जाने का फैसला किया। जब रावण भगवान शिव को शिव लिंग के रूप में कैलाश से लंका ले जा रहा था, तो माना जाता है कि देवताओं के षड़यंत्र के कारण शिव लिंग को देवघर में स्थापित करवाने का प्रयास किया गया था। जिसमे वो सफल भी रहे। यही वजह है कि लोग रावण के कारण ही भगवान शिव की पूजा कर पाए और इसलिए वे रावण को नहीं जलाते।
दशहरा पर्व
दशहरा पर्व को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। यह अश्विनी माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन, हिंदू भक्त भगवान राम की पूजा करते हैं और रामलीला का आयोजन करते हैं।देवघर में रावण दहन नहीं होने का कारण यह है कि लोग रावण को भगवान शिव को देवघर लाने के लिए धन्यवाद देते हैं। यह एक दिलचस्प कहानी है जो दशहरा पर्व की विविधता और महत्व को दर्शाती है।दशहरा एक हिंदू त्योहार है जो अधर्म पर धर्म की जीत का जश्न मनाता है। इस दिन, हिंदू भक्त रावण का पुतला बनाकर उसे जलाते हैं, जिसे अधर्म का प्रतीक माना जाता है। लेकिन भारत में एक ऐसी जगह भी है जहाँ रावण दहन नहीं होता। भारत में एक ऐसी जगह भी है जहाँ रावण दहन नहीं होता। देवघर, झारखंड में स्थित एक प्रमुख हिंदू तीर्थस्थल है। इस दिन, लोग भगवान राम की पूजा करते हैं और रामलीला का आयोजन करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग में रावण ने अपनी तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया और उन्हें अपने गृहनगर लंका आने को कहा। भगवान शिव सहमत हो गए और कैलाश से लंका जाने का फैसला किया। जब रावण भगवान शिव को शिव लिंग के रूप में कैलाश से लंका ले जा रहा था, तो माना जाता है कि देवताओं के षड़यंत्र के कारण शिव लिंग को देवघर में स्थापित करवाने का प्रयास किया गया था। जिसमे वो सफल भी रहे। यही वजह है कि लोग रावण के कारण ही भगवान शिव की पूजा कर पाए और इसलिए वे रावण को नहीं जलाते। इस दिन लोग अपने घरों में पूजा करते हैं वही कई रामलीला कार्यक्रम बड़े स्टेडियमों और मैदानों में भी आयोजित किये जाते हैं। इस दिन लोग दुर्गा पूजा में भी शामिल होते हैं।