Lucknow News : लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक मरीज वेंटिलेटर की मिन्नतें करते हुए अस्पताल में इलाज के लिए आया था, लेकिन वेंटिलेटर की कमी के कारण उसकी जान चली गई। यह घटना अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर कमी को उजागर करती है।
जानकारी के अनुसार, दुबग्गा के छंदोइया निवासी अबरार अहमद (60) को इलाज के लिए केजीएमयू के हृदय रोग विभाग (लारी कार्डियोलॉजी) में भर्ती कराया गया था। उन्हें वेंटिलेटर की आवश्यकता थी, लेकिन अस्पताल में वेंटिलेटर की उपलब्धता नहीं थी। अबरार गंभीर हालत में थे और उनकी सांसों की स्थिति बिगड़ रही थी।
वह अस्पताल में भर्ती होने के बाद लगातार हाथ जोड़कर डॉ. राममनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में रेफर करने के लिए डॉक्टरों और स्टाफ से वेंटिलेटर की मांग करते रहे, लेकिन उनकी कोई नहीं सुनी गई। उनकी हालत बिगड़ती जा रही थी, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उन्हें प्राथमिक इलाज देने की बजाय रेफर कर दिया। जब तक अबरार को रेफर किया गया और लोहिया अस्पताल ले जाने के प्रयास किए गए, रास्ते में ही उनकी सांसें थम गईं और उन्होंने दम तोड़ दिया।
Lucknow News : ज्यादा शोर कर रहे हो, नहीं देखेंगे
बेटे सैफ के अनुसार इमरजेंसी में उनके पिता को तीन-चार इंजेक्शन लगाए गए, इसके बाद उनकी नाक और मुंह से खून आने लगा। जब पिता डाक्टरों के सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगे तो डॉक्टर बोले ज्यादा शोर कर रहे हो, इसलिए हम तुम्हें नहीं देखेंगे। मरीज की मौत के बाद वजीरगंज थाने में कार्रवाई के लिए तहरीर भी दी गई है।
Lucknow News : केजीएमयू ने उपलब्ध कराई एंबुलेंस
वहीं इस मामले में केजीएमयू के प्रवक्ता प्रो. सुधीर सिंह का कहना है कि अबरार अहमद को हार्ट की बीमारी की गंभीर समस्या थी। अबरार की 2018 में कोरोनरी आर्टरी डिजीज होने के बाद उनकी लारी में एंजियोप्लास्टी की गई थी। इसके बाद डॉक्टर समय-समय पर उन्हें जांच के लिए बुलाया था, लेकिन वे फॉलोअप के लिए ओपीडी में नहीं आए। रविवार देर रात उनकी तबीयत बिगड़ी तो गंभीर अवस्था में उन्हें इमरजेंसी में लाया गया।
Lucknow News : डाक्टर ने पीजीआई और लोहिया संस्थान के लिए रेफर
जहां डॉक्टरों ने उन्हें एडमिट कर उनका तुरंत इलाज शुरू किया और उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा। कई जरूरी जांचें कराई गईं। उसके बाद भी जब उनकी हालत में सुधार नहीं होता दिखा तो डाक्टरों ने वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत बताई। लेकिन लारी कार्डियोलॉजी के सभी आईसीयू-वेंटिलेटर बेड मरीजों से भरे हुए थे। इसलिए उन्हें डाक्टर ने पीजीआई और लोहिया संस्थान के लिए रेफर किया। संस्थान ने मरीज को ले जाने के लिए एंबुलेंस भी उपलब्ध कराई, लेकिन दुर्भाग्य से उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।