Maithili Thakur controversy: बिहार की सियासत में इस बार सिर्फ नेताओं के वादे और नारों की गूंज नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर एक नया चेहरा भी सुर्खियों में है, जिसका नाम है मैथिली ठाकुर। जिस आवाज ने कभी लोकगीतों और भजनों से करोड़ों दिलों को जीत लिया था, वही अब राजनीति के मंच पर अपनी किस्मत आजमा रही है। (Maithili Thakur controversy) लेकिन हाल ही में दिया गया उनका एक बयान इस चुनावी माहौल में हलचल मचा गया है और इससे उनको काफी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा रहा है।
Maithili Thakur controversy: मैथिली ठाकुर का क्यों बन रहा मजाक?
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान जब एक पत्रकार ने मैथिली से पूछा कि आपके क्षेत्र के विकास का ब्लूप्रिंट क्या है? तो इस पर मैथिली का जवाब सबको चौंका गया। बिना किसी झिझक उन्होंने कैमरे के सामने कहा, “मैं इसे सबके सामने कैसे बता सकती हूं, यह तो बिल्कुल निजी और सीक्रेट मामला है।” बस, इतना कहना था कि सोशल मीडिया पर वीडियो आग की तरह फैल गया। लोग मैथिली के जवाब पर जमकर मीम्स बनाने लगे, कोई उन्हें “राजनीतिक नवोदित” कहने लगा, तो कोई “ब्लूप्रिंट की सीक्रेट एजेंट” बताने लगा।
सोशल मीडिया पर ट्रोल्स की बाढ़
मैथिली का यह वीडियो वायरल होने के बाद कई लोगों ने बीजेपी की इस स्टार उम्मीदवार की राजनीतिक समझ पर सवाल खड़े कर दिए। एक यूजर ने लिखा, “जब कोई उम्मीदवार अपने क्षेत्र का ब्लूप्रिंट सीक्रेट बताता है, तो इसका मतलब है कि उसके पास कोई योजना ही नहीं है। (Maithili Thakur controversy) ” दूसरे ने तीखा व्यंग्य किया, “वोटर्स को ऐसे नेता नहीं चाहिए जो जवाबों से बचें, बल्कि ऐसे नेता चाहिए जिनके पास सोच और विजन हो।” वहीं, कुछ लोगों ने इसे राजनीति की नई शैली बताया, जहां चेहरा भले मशहूर हो, लेकिन जमीनी समझ नदारद दिखती है।
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मैथिली का संगीत से सियासत तक का सफर
25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी में जन्मी मैथिली ठाकुर बचपन से ही संगीत की दुनिया में रची-बसी रही हैं। उनके पिता और दादा दोनों ही संगीतकार रहे हैं, जिन्होंने उन्हें भारतीय शास्त्रीय और लोक संगीत की बारीकियां सिखाईं। (Maithili Thakur controversy) 2017 में टीवी शो ‘राइजिंग स्टार’ में रनर-अप बनने के बाद मैथिली की पहचान पूरे देश में फैल गई। उन्होंने अपने भाइयों के साथ सोशल मीडिया पर सैकड़ों लोकगीत और भजन गाकर लाखों फॉलोअर्स जुटाए। धीरे-धीरे उनका नाम सिर्फ एक गायिका के तौर पर नहीं, बल्कि “मिथिला की बेटी” के रूप में गूंजने लगा। इसी लोकप्रियता को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें पार्टी में शामिल किया और इस बार अलीनगर सीट से चुनाव मैदान में उतारा।
मैथिली ठाकुर का नाम बिहार के युवा मतदाताओं के बीच चर्चा का विषय बन गया है। (Maithili Thakur controversy) जहां एक तरफ उनके समर्थक उन्हें “संस्कृति और युवा ऊर्जा का प्रतीक” बता रहे हैं, वहीं विरोधियों का कहना है कि प्रसिद्धि और राजनीति दो बिल्कुल अलग मंच हैं। उनके “सीक्रेट ब्लूप्रिंट” वाले बयान ने यह बहस और तेज कर दी है कि क्या मशहूर चेहरों को सिर्फ पहचान के दम पर टिकट देना राजनीति का नया ट्रेंड बन गया है?










