Ram Mandir Inauguration: अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली रामलला की प्रतिमाओं का शनिवार को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों ने अवलोकन किया। (Ram Mandir Inauguration) तीनों प्रतिमाओं को देखने के बाद सदस्यों ने अपनी पसंद की प्रतिमा पर मतदान किया।
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि तीनों ही प्रतिमाएं बहुत अच्छी बनी हैं। (Ram Mandir Inauguration) ये इतनी श्रेष्ठ हैं कि इनमें से किसी एक का चयन करना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि हमने इन मूर्तियों को देखा है और इस पर अंतिम निर्णय अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास और मैं लेंगे।

चंपत राय ने बताया कि तीनों मूर्तियां अलग-अलग राज्यों के मूर्तिकारों द्वारा बनाई गई हैं। (Ram Mandir Inauguration) पहली मूर्ति कर्नाटक के मूर्तिकार गणेश भट्ट द्वारा बनाई गई है। दूसरी मूर्ति जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे द्वारा बनाई गई है। तीसरी मूर्ति मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई है।
प्रतिमाओं के चयन के लिए ट्रस्ट ने एक समिति का गठन किया था। (Ram Mandir Inauguration) समिति ने तीनों प्रतिमाओं का अवलोकन किया और ट्रस्ट को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। ट्रस्ट ने समिति की रिपोर्ट के आधार पर तीनों प्रतिमाओं का अवलोकन किया। रामलला की प्रतिमाओं का चयन एक महत्वपूर्ण निर्णय है। इस निर्णय से देशभर के करोड़ों राम भक्तों की उम्मीदें जुड़ी हुई हैं।

Ram Mandir Inauguration: ट्रस्ट के सदस्यों ने देखी प्रतिमाएं
शुक्रवार को ट्रस्ट के सदस्य राम मंदिर से तीन किमी दूर कारसेवक पुरम गए, (Ram Mandir Inauguration) जहां पर तीनों प्रतिमाओं को रखा गया है. इस दौरान ट्रस्ट के सदस्यों ने मूर्तियों को देखा और उस पर अपने-अपने मत रखे. हालाँकि इन तीनों में से किस मूर्ति को गर्भगृह में विराजित किया जाएगा. इसे लेकर अभी तक कोई फ़ैसला नहीं हो सका है.
दरअसल राम मंदिर के लिए कारसेवक पुरम में भगवान राम की तीन मूर्तियां तैयार की गई है. (Ram Mandir Inauguration) ये तीनों प्रतिमाएं अलग-अलग मूर्तिकारों ने बनाई हैं. ये सभी मूर्तिकार देश के जाने-माने मूर्तिकार हैं. इनमें एक मूर्ति गणेश भट्ट ने बनाई हैं. इन्हें कर्नाटक स्टेट में कई अवॉर्ड दिए गए हैं. दूसरी प्रतिमा जयपुर के प्रसिद्ध मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे ने बनाई है. इनका परिवार सात दशकों से संगमरमर की मूर्तियां बनाने का काम कर रहा है और तीसरी मूर्ति अरुण योगीराज ने बनाई है, जो मैसूर महल के मूर्तिकारों के परिवार से हैं.