Ramadan 2025: माह-ए-रमजान की शुरुआत 2 मार्च 2025 से चुकी है और रोजेदारों के बीच रोजा रखने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है. (Ramadan 2025) आज यानी 3 मार्च 2025 को रमजान महीने का दूसरा रोजा रखा गया है. बता दें कि रमजान में तीन अशरों में रोजे रखे जाते हैं जोकि 10-10 रोजे में विभाजित होते हैं.

पहला अशरा 1-10 रोजा ‘रहमत’ का, दूसरा अशरा 11-20 रोजा ‘बरकत’ का, तीसरा अशरा 21-30 रोजा ‘मगफिरत’ का, जिसमें खुदा अपने बंदों के गुनाह माफ करता है. फिलहाल पहला अशरा चल रहा है. (Ramadan 2025) रमजान के पवित्र महीने में मुसलमानों के लिए रोजा रखना ईमान की कसावट है. रोजा अल्लाह की बंदिगी करने की ख्वाहिश को गति प्रदान करता है. रमजान में अल्लाह का फरमान है कि ‘या अय्युहल्लज़ीना आमुन कुतेबा अलयकुमस्स्याम’ इसका मतलब है कि ऐ कुरआन ए पाक को मानने वालों तुम पर रोजा फर्ज है.

Ramadan 2025: ऐसे रोजे से कभी नहीं मिलेगा सवाब
रोजा रखने से ज्यादा जरूरी इसे समझना और इसके नियमों का पालन करना होता है. यहां रोजे को समझने से अर्थ है कि इससे जुड़े एहतियाय बरतना. गुस्सा, लालच और हवस पर पूरी तरह से काबू रखना ही सच्चा रोजा है. अगर आपने सुबह सहरी कर ली और दिनभर जबान से झूठ या अपशब्द बोलते रहे, दिमाग में गलत विचार लाते रहे, हाथों से गलत काम करते रहे, पांव गलत दिशा में चले गए, आंखों से बुरी चीजें देख रहें, जिस्म से गलत हरकते कर रहे है, जहन में तमाम तरह के खुराफात आ रहे हैं तो यकीन मानिए ऐसा रोजा किसी काम का नहीं. अगर आप रोजा रखकर ये काम करेंगे तो अल्लाह को कभी राजी नहीं कर पाएंगे. रोजा रखने का मकसद होता है हर तरह की ख्वाहिशों पर काबू रखना. इसलिए रमजान के दूसर रोजे को शफाअत और इनाम कहा जाता है, क्योंकि यह लालच और गुस्से पर काबू रखना सिखाता है.