Shahdol News
सावन का यह पवित्र महीना कांवड़ उठाने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण महीना कहलाता है कहा जाता है कि कावड़ में गंगाजल लेकर जो भक्त शिवजी को गंगाजल अर्पित करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं वहीं भारत के कोने-कोने से 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन व गंगाजल चढ़ाने के लिए भक्त निकल चुके हैं वहीं कई हजार किलोमीटरो का सफर कर बाबा बैजनाथ को गंगा जल चढ़ाते हैं यह सफर बहुत कठिन होने के बाद भी लाखों की भीड़ में कांवडिया झारखंड के देवघर में बाबा बैजनाथ को जल चढ़ाते हैं (Shahdol News) बाबा बैजनाथ को जल चढ़ाने के लिए बिहार के सुल्तानगंज में उत्तर वाहिनी गंगा को अपने कांवड़ ने रखकर 110किलोमीटर पैदल यात्रा कर देवघर पहुंचते हैं जहां शिवगंगा में स्नान कई किलोमीटर कांवडिया लाइन में लग कर बाबा बैजनाथ मंदिर पहुंचते हैंऔर अरघा के माध्यम से बाबा बैजनाथ जी को जल अर्पित करते हैं वहीं अगर बात की जाए तो बिहार प्रशासन व झारखंड प्रशासन के लिए यह एक बड़ी चुनौती भी कहलाती है क्योंकि पूरे सावन भर लाखों कावड़िया बिहार से झारखंड पहुंचते हैं
सावन का महीना आते ही कई कांवड़ियों का जत्था जो आज 13वर्षों से झारखंड में स्थित बाबा बैजनाथ को सुल्तानगंज से कावड़ में गंगाजल लेकर झारखंड के बाबा बैजनाथ को जल चढ़ाते आए हैं ऐसा ही एक कांवड़ियों का एक जत्था जो नगरपरिषद बकहो से हर वर्ष रवाना होता है (Shahdol News) जो तीन राज्य पार कर हजारों किलोमीटर का सफर कर बाबा बैजनाथ पहुंचते हैं जो बौधगया.गया जी.सुल्तानगंज.बाबा बैजनाथ.(Shahdol News) बाबा बासुकीनाथ.काशी विश्वनाथ.देवतालाब.होते हुए अपनी यात्रा को विश्राम देते हैं वहीं नगर परिषद बकहो से अपनी गाड़ी में शिव जी को बैठकर वा गाड़ी में झांकी सजाकर अपनी यात्रा की शुरुवात करते है पुराणों में लिखा है की देवघर में विराजमान शिव लिंग की स्थापना रावण के द्वारा की गई थी जिसे कई नामों से जाना जाता है वहीं इस मंदिर में माता पार्वती का धड़ गिरा हुआ था जिसे चिता भूमि का नाम भी दिया गया है देवघर में कई पवित्र स्थान है जहां कांवडिया दर्शन कर अपनी मनोकामना पूरी करते है
भोले के भक्तों की बात ही अलग है कई तरह की झांकियां सजाकर भक्त बाबा के नगरी पहुंचते है (Shahdol News) वहीं इस कठिन सफर में बच्चे बूढ़े वा महिलाएं 110किलोमीटर का सफर कर बाबा नगरी पहुंचते है वहीं बाबा बैजनाथ जी को जल चढ़ाने के बाद 80 किलोमीटर का सफर कर कांवड़िया बाबा बासुकीनाथ में जल चढ़ाते हैं कहा जाता है कि भक्त अपनी मनोकामना के लिए पहले बाबा बैजनाथ को अर्जी लगाते हैं और फिर निर्णायक
बाबा बासुकीनाथ करते हैं कांवड़ में दो पात्र में गंगा जल रखा जाता है जो एक बाबा बैजनाथ के लिए और दूसरा जल बाबा बासुकीनाथ के लिए होता है (Shahdol News) यह दोनों जल भोले को अर्जित कर भक्त अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं वहीं संस्थान ऐसे हैं जो कांवड़ियों की सेवा में लगा देते है 110किलोमीटर के इस सफर में कांवड़ियों के लिए खाने-पीने की भी व्यवस्थाएं की जाती है जगह जगह पुलिस प्रशासन अपनी सेवाएं प्रदान करती हैं.