Sitapur News: यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (DeputyCM BrijeshPathak) शनिवार यानि आज अचानक सीतापुर के नैमिषारण्य पहुंचे। उन्होंने अपनी पत्नी के साथ गुपचुप तरीके से धार्मिक स्थलों के दर्शन किए। उनके इस दौरे में कोई विशेष प्रोटोकॉल नहीं था, जिससे स्थानीय लोग और श्रद्धालु भी चकित रह गए।
डिप्टी सीएम ने प्रदेश की समृद्धि व कल्याण की प्रार्थना की
डिप्टी सीएम (DeputyCM) ने सर्वप्रथम मां ललिता देवी मंदिर में पूजा-अर्चना की और प्रदेश की समृद्धि व कल्याण की प्रार्थना की। इसके बाद उन्होंने काली पीठ और हनुमान गढ़ी में भी माथा टेका। बताया जा रहा है कि उन्होंने पूरे श्रद्धा भाव से दर्शन किए और मंदिर के पुजारियों से आशीर्वाद प्राप्त किया।

नैमिषारण्य, जिसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, में डिप्टी सीएम (DeputyCM) का इस तरह बिना शोर-शराबे के पहुंचना चर्चा का विषय बना हुआ है। स्थानीय प्रशासन को भी उनके आने की कोई पूर्व सूचना नहीं थी, जिससे उनकी यात्रा काफी गोपनीय रही।
लोगों ने बृजेश पाठक से की मुलाकात

दर्शन के बाद बृजेश पाठक (BrijeshPathak)ने संतों से मुलाकात की और धर्म व समाज पर चर्चा की। स्थानीय लोगों ने भी उनसे मिलकर अपनी समस्याओं को साझा किया। उनके इस सादगी भरे दौरे को लेकर आम जनता में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। बताया जा रहा है कि डिप्टी सीएम का यह दौरा पूरी तरह व्यक्तिगत था और उन्होंने इसे पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ संपन्न किया।
नैमिषारण्य क्यों प्रसिद्ध है
प्रसिद्ध तपोस्थली नैमिषारण्य उतरप्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित है। इस पवित्र स्थल का धार्मिक और पर्यटन के दृष्टीकोण से कई इतिहास है। नैमिषारण्य का नाम नैमिष नामक वन की वजह से रखा गया। इस स्थान के बारे में बताया जाता है कि यहां पर 88 हजार ऋषियों को वेदव्यास के शिष्य सूत ने महाभारत तथा पुराणों की कथाएँ सुनाई थीं। साथ में ये भी मान्यता है कि जब ब्रम्हाजी धरती पर मानव जीवन की सृष्टि करना चाहते थे, तब उन्होंने यह उत्तरदायित्व इस धरती की प्रथम युगल जोड़ी – मनु व सतरूपा को दिया। तदनंतर मनु व सतरूपा ने नैमिषारण्य में ही 23 हजार वर्षों तक साधना की थी।
नैमिषारण्य का इतिहास
नैमिषारण्य वो स्थान है जहां पर ऋषि दधीचि ने लोक कल्याण के लिए अपने वैरी देवराज इन्द्र को अपनी अस्थियां दान की थीं। यहां पर महापुराण लिखे गए थे और पहली बार सत्यनारायण की कथा की गई थी। इस धाम का उल्लेख पुराणों में भी किया गया है। साधु-संतों के इस तपोभूमि के अनगिनत इतिहास हैं। पवित्र ग्रंथ रामायण में ये जिक्र है कि इसी स्थान पर भगवान श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ को पूरा किया था और महर्षि वाल्मीकि, लव-कुश से भी उनकी मुलाकात यहीं पर हुई थी। इस स्थान का महाभारत काल से भी जुड़ा प्रसंग है। बताया जाता है कि युधिष्ठिर और अर्जुन भी यहां पर आये थे। नैमिषारण्य तपोस्थली पर आकर्षण के कई केंद्र है। हनुमान गढ़ी, शिवाला भैरो जी मंदिर, भेतेश्वरनाथ मंदिर, व्यास गद्दी, हवन कुंड, ललिता देवी का मंदिर, नारदानन्द सरस्वती आश्रम-देवपुरी मंदिर, रामानुज कोट, शेष मंदिर, क्षेमकाया मंदिर और अहोबिल मंठ सहित अन्य कई केंद्र हैं।