UP by-elections: उपचुनावों में नहीं चली सपा की पीडीए रणनीति, बदला वोटरों का पैटर्न; मायावती ने की ऐसे चुनावों से तौबा

UP by-elections: उपचुनाव में सपा की पीडीए की रणनीति काम नहीं आई। सीसामऊ और मझवां के अलावा अन्य सभी सीटों पर वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले उसका मत प्रतिशत गिरा। सीसामऊ में पिछली बार उसे 50.68 प्रतिशत मत ही मिले थे, जो इस बार बढ़कर 52.36 प्रतिशत हो गए। वहीं मझवां में 28.38 प्रतिशत से बढ़कर 36.11 प्रतिशत हो गया। कुंदरकी में पिछले चुनाव में सपा को 46.28 प्रतिशत मत मिले थे, जो इस बार गिरकर 11.52 प्रतिशत पर पहुंच गए। (UP by-elections) इसी तरह से करहल में 60.12 प्रतिशत से गिरकर 50.45 प्रतिशत, फूलपुर में 40.89 प्रतिशत से गिरकर 37.73 प्रतिशत, कटेहरी में 37.78 प्रतिशत से गिरकर 30.46 प्रतिशत पर आ गया। हालांकि, गाजियाबाद में सपा के मत प्रतिशत में मामूली गिरावट ही आई। यहां 2022 के 18.25 प्रतिशत से मुकाबले उपचुनाव में 17.93 प्रतिशत मत मिले।

UP by-elections: लोकसभा चुनाव से विपरीत रहा उपचुनाव में मतदाताओं का रुझान

विधानसभा उपचुनाव में मतदाताओं का रुझान लोकसभा चुनाव में सामने आए रुझान से काफी अलग रहा। लोकसभा चुनाव में इन नौ विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं के रुझान को देखें तो इनमें से छह विधानसभा क्षेत्रों में सपा गठबंधन आगे रहा था। (UP by-elections) वहीं विधानसभा उपचुनाव में महज दो क्षेत्रों में ही बढ़त हासिल कर सका। लोकसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन के प्रत्याशियों को मीरापुर, गाजियाबाद और मझवां क्षेत्र में ही इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों से ज्यादा मत मिले थे। जबकि, कुंदरकी, खैर, करहल, सीसामऊ, फूलपुर और कटेहरी में सपा गठबंधन के प्रत्याशी आगे रहे थे।

उपचुनाव में करारी हार के बाद बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि आम चर्चा है कि ईवीएम के जरिये फर्जी वोट डालने का कार्य किया जा रहा है, जो लोकतंत्र के लिए चिंता की बात है। (UP by-elections) लिहाजा बसपा ने फैसला लिया है कि जब तक देश में फर्जी वोटिंग की रोकथाम के लिए चुनाव आयोग कोई सख्त कदम नहीं उठाता है, तब तक बसपा कोई उपचुनाव नहीं लड़ेगी।

मायावती ने रविवार को जारी बयान में कहा कि लोकसभा व राज्यों में विधानसभा चुनाव के साथ-साथ उपचुनावों में तो अब यह कार्य खुलकर किया जा रहा है। यूपी उपचुनाव में भी ऐसा देखने को मिला है। इस बार महाराष्ट्र चुनाव में भी इसे लेकर काफी आवाजें उठाई जा रही हैं। (UP by-elections) यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। आम चुनाव में सरकारी मशीनरी सत्ता परिवर्तन से डरती भी है। जनता पर भी सरकारी मशीनरी का कोई ज्यादा दबाव एवं डर नहीं होता है। इसे ध्यान में रखकर ही बसपा अब लोकसभा व विधानसभा चुनाव तथा स्थानीय-निकायों आदि के भी चुनाव पूरी तैयारी व दमदारी के साथ ही लड़ेगी।

मिले हुए हैं कांग्रेस-भाजपा के लोग

उन्होंने आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद का नाम लिए बिना कहा कि बसपा को रोकने के लिए कांग्रेस व बीजेपी एंड कंपनी के लोग आपस में मिले हैं। पर्दे के पीछे से दलित समाज में से बिकाऊ व स्वार्थी किस्म के लोगों की पार्टियां बनवा दी हैं, जिनको चलाने व चुनाव लड़ाने आदि पर पूरा धन इन जातिवादी पार्टियों का खर्च होता है। तभी इन पार्टियों के नेता दर्जनों गाड़ियाें को साथ में लेकर चलते हैं। हेलीकॉप्टर व प्लेन से भी चुनावी दौरे करते हैं। ऐसे दलों के नेताओं को सांसद और विधायक भी बनवाते हैं। (UP by-elections) ऐसे में अब दलितों को जाति, बिरादरी, रिश्ते, यार-दोस्तों आदि के चक्कर में ना पड़कर अपना वोट अपनी एकमात्र हितैषी पार्टी बसपा को ही देना है।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा ने उपचुनाव में 7 सीटें इलेक्ट्रॉनिक बूथ कैप्चरिंग करके जीतीं। उन्होंने कहा कि अगर ईवीएम की कोई फोरेंसिक जांच संभव हो तो बटन दबाने के पैटर्न से ही पता चल जाएगा कि एक ही उंगली से कितनी बार बटन दबाया गया। अखिलेश ने रविवार को सपा मुख्यालय पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भाजपा का हारने का डर तो उसी दिन साबित हो गया था, जिस दिन उसने पीडीए के अधिकारियों-कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी से हटा दिया था। (UP by-elections) हमने तो भाजपा की बदनीयत को समझ कर तब ही विरोध किया था, लेकिन जब शासन-प्रशासन ही दुशासन बन जाए तो लोकतंत्र के चीर हरण को कौन रोक सकता है। उन्होंने कहा कि जिनकी उंगलियों पर निशान नहीं है, उनके भी वोट डाले गए हैं।

चुनाव आयोग देखे कि जिनका नाम दर्ज है, वो बूथ तक पहुंचे भी या नहीं। सब साफ हो जाएगा। यह नए जमाने की इलेक्ट्रॉनिक बूथ कैप्चरिंग का मामला है। अगर पीडीए के अधिकारी-कर्मचारी बदलकर धांधली न की होती तो भाजपा एक सीट के लिए भी तरस जाती। (UP by-elections) जब ऐसी व्यवस्था मिल्कीपुर (अयोध्या) में नहीं हो पाई तो वहां का चुनाव ही टाल दिया। अखिलेश ने कहा, देश तब एक लोकतांत्रिक क्रांति की ओर बढ़ने लगता है जब उसे कहीं से भी इंसाफ की उम्मीद दिखाई नहीं देती। इतनी सी बात तो अशिक्षित भी समझता है कि पेट की आग कभी भी उसको नहीं जिता सकती, जिसने रोटी-रोजगार छीना हो।

एक साहसी महिला ने जिस समय अपने वोट देने के अधिकार का कागज बंदूक के सामने तान दिया था, भाजपा उसी समय हमेशा के लिए हार गई थी। इन परिणामों से पीडीए हताश नहीं है, बल्कि अन्याय और उत्पीड़न लोगों को तोड़ता नहीं जोड़ता है। पीडीए समाज का जो उत्पीड़न और अपमान प्रभुत्ववादियों ने किया है, उसका दर्द पीडीए ही समझ सकता है।अखिलेश ने कुंदरकी के उपचुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप लगाया। कहा, अलग-अलग तरह की पर्चियां बांटी गईं।

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