UP Madrasa Act : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस निर्णय को रद्द कर दिया है। जिसमें कोर्ट ने मदरसा एक्ट को संविधान के खिलाफ बताया था। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद उत्तर प्रदेश के मदरसों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मदरसा एक्ट पर अहम निर्णय सुनाते हुए कहा कि हाईकोर्ट का यह फैसला उचित नहीं था।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा एक्ट को सही करार दिया है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बीते 22 अक्टूबर को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। हालांकि, सुनवाई के दौरान सीजेआई ने यह भी कहा कि राज्य के दायरे में फाजिल और कामिल के तहत डिग्री देना नहीं है। इससे यूजीसी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन होता है।
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद उत्तर प्रदेश के लगभग 16,000 हजार मदरसों को राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आने के बाद मदरसों का संचालन होता रहेगा। उत्तर प्रदेश में कुल 23,500 मदरसे है। जिनमें से 16, 513 मदरसे मान्यता प्राप्त है। मान्यता प्राप्त 560 मदरसे ऐसे भी है जोकि एडेड है। जिनका संचालन सरकारी मदद के जरिए होता है। वहीं लगभग आठ हजार मदरसे गैर मान्यता प्राप्त है।
UP Madrasa Act : जानें पूरा मामला
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अंशुमान सिंह राठौड़ नाम के एक युवक ने मदरसा बोर्ड काननू के खिलाफ एक याचिका दायर की थी। याचिका में इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गयी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के बाद 22 मार्च को निर्णय सुनाया था।
हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था कि यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 पूरी तरह से असंवैधानिक है। यह एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है। यहीं नहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में राज्य सरकार को यह आदेश दिया था कि इन मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को सामान्य स्कूल सिस्टम में शामिल किया जाए।
UP Madrasa Act : मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का किया स्वागत
लखनऊ ईदगाह के इमाम और धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने यूपी मदरसा एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट को संवैधानिक घोषित करने पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मदरसा एक्ट को असंवैधानिक करार दिया था, जबकि यह एक्ट सरकार ने ही बनाया था। तो फिर यह एक्ट असंवैधानिक कैसे हो सकता है।