UP Politics : समाजवादी पार्टी के मुखिया एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को योगी सरकार पर करारा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के आवाज उठाने और जन आक्रोश बढ़ने के बाद भाजपा सरकार के मंत्री को अब गो-वंश, दूध, किसान और कर्मचारियों की सुध आई है। बता दें कि अखिलेश यादव की यह प्रतिक्रिया तब आई, जब मंत्री धर्मपाल सिंह कन्नौज पहुंचे और बंद पड़े काउ मिल्क प्लांट का निरीक्षण किया और उसे जल्द चलाए जाने की बात कही।
UP Politics : अखिलेश यादव ने बीजेपी पर किया प्रहार
पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, कन्नौज में काउ मिल्क प्लांट को दुबारा चालू करने के लिए समाजवादी पार्टी ने जिस प्रकार दूध के किसानों के भले के लिए लगातार आवाज़ उठायी है और जिस तरह जन-आक्रोश भी दिनों दिन बढ़ता जा रहा है, ये उसका ही दबाव है कि भाजपा सरकार के मंत्री जी को अब गो-वंश, दूध किसान और कर्मचारियों की सुध आई है। दरअसल भाजपा राजनीति करने के सिवा और कुछ जानती ही नहीं है, इसीलिए न तो कुछ नया बना पाती है, न बना बनाया चला पाती है। भाजपा कार्य-शून्य पार्टी है।
बता दें कि इससे पहले प्रदेश के पशुपालन एवं दुग्ध विकास राजनीतिक पेंशन मंत्री धर्मपाल सिंह शनिवार को काउ मिल्क प्लांट का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि किसानों की खुशहाली के लिए बंद पड़े काउ मिल्क का चालू होना जरूरी है। प्लांट बंद होने से मशीने भी खराब हो रही हैं। उन्होंने कहा कि सभी समितियों को पुन: क्रियाशील करके दुग्ध खरीद को शुरू किया जाए। उन्होंने कर्मचारियों के भुगतान संबंधी शिकायतों पर कहा कि जब प्लांट शुरू हो जाएगा तो समस्याएं भी समाप्त हो जाएंगी।
UP Politics : जानिए क्या है मामला
बता दें कि सपा सरकार के दौरान कन्नौज के तिर्वा क्षेत्र के बढ़नपुर वीरहार में करीब 8 एकड़ की भूमि में काउ मिल्क प्लांट बनाया गया है। ये प्लांट 2018 में करीब 140 करोड़ लागत से बनकर तैयार हो गया था। पीएम मोदी ने वर्ष 2019 में लोकार्पण करके इसकी शुरुआत भी कर दी थी। इस प्लांट के लिए जर्मनी और जापान से मशीनें भी मंगाई गईं थी। यहां आधुनिक मशीनें लगाईं गईं थी, जिससे छह महीने तक दूध को स्टोर भी किया जा सकता है।
इस प्लांट में एक लाख लीटर दूध प्रतिदिन स्टोर करने की क्षमता है, जो सूबे के किसी भी प्लांट से ज्यादा है। इस प्लांट को कुछ दिन बाद ही बंद कर दिया गया, क्योंकि प्रबंधन के अभाव के कारण बजट की समस्या सामने आ रही थी। बताया जा रहा है कि इस प्लांट के बंद हो जाने से करीब 15 जिलों के किसानों को नुकसान हुआ है। इसके साथ ही सैकड़ों लोगों का रोजगार भी छिन गया। अब किसान औने-पौने दाम पर दूध बेचने को मजबूर हैं।