Lakhimpur Kheri News : सुप्रीम कोर्ट ने 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को जमानत दे दी है। शीर्ष अदालत ने जमानत अर्जी मंजूर करने के साथ आशीष मिश्रा को दिल्ली या लखनऊ रहने का निर्देश दिया है। उन्हें लखीमपुर खीरी जाने की इजाजत नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को मामले के सुनवाई में तेजी लाने और समय सीमा तय करने का निर्देश भी दिया है। 2021 में लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के दौरान आठ लोगों की जान गई थी।
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Lakhimpur Kheri News : लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा का मामला

लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा का यह मामला 3 अक्टूबर 2021 का है और इस मामले को लेकर खूब हंगामा हुआ था। दरअसल लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में उस समय हिंसा भड़क गई थी जब किसान उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के उस क्षेत्र में दौरे का विरोध कर रहे थे। हंगामा करने वाले किसानों को एक एसयूवी से कुचल दिया गया था जिसमें चार किसानों की मौत हो गई थी।
इस घटना के संबंध में दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक इस एसयूवी में आशीष मिश्रा भी बैठे हुए थे। पटना से नाराज किसानों ने एसयूवी के चालक और दो भाजपा कार्यकर्ताओं को पीट-पीट कर मार डाला था। एक पत्रकार की भी हिंसा में मौत हो गई थी इस तरह इस घटना में आठ लोग मारे गए थे।
Lakhimpur Kheri News : सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी थी जमानत

आशीष मिश्रा को 9 अक्टूबर, 2021 को गिरफ्तार किया गया था और हाईकोर्ट के आदेश के बाद 15 फरवरी, 2022 को रिहा किया गया था। हालांकि बाद में 18 अप्रैल, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द कर दी थी। जमानत रद्द किए जाने के बाद आशीष मिश्रा ने 24 अप्रैल, 2022 को आशीष मिश्रा ने सरेंडर कर दिया था। आशीष मिश्रा ने जमानत रद्द किए जाने के आदेश को चुनौती दी थी।
Lakhimpur Kheri News : करना होगा कई शर्तों का पालन

अब लखीमपुर में हिंसा के इस बहुचर्चित मामले में आशीष मिश्रा को शीर्ष अदालत से जमानत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से आशीष मिश्रा को जमानत जरूर दी गई है मगर उन्हें कई शर्तों का पालन भी करना होगा। जमानत अवधि के दौरान वे किसी भी सार्वजनिक रैली में हिस्सा नहीं ले सकेंगे और उनके मीडिया से बातचीत करने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। इसके साथ ही वे लखीमपुर खीरी भी नहीं जा सकेंगे।
Lakhimpur Kheri News : मुकदमे की कार्यवाही में तेजी का निर्देश

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने कहा कि हमें सूचित किया गया है कि 117 गवाहों में से अब तक सात की जांच की जा चुकी है। हमारा मानना है कि मुकदमे की कार्यवाही में तेजी लाने की जरूरत है। हम ट्रायल कोर्ट को निर्देश देते हैं कि वह लंबित अन्य समयबद्ध या जरूरी मामलों को ध्यान में रखते हुए समय-सारिणी तय करे, लेकिन लंबित विषय को प्राथमिकता दें। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद अब इस मामले की सुनवाई में तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है।