Lok Sabha session 2024: 18वीं लोकसभा का पहला संसद सत्र आज यानी सोमवार से शुरू हो गया है। लोकसभा चुनाव 2024 जीतने के बाद अब सभी सांसद पहली बार संसद पहुंचे हैं, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेता सांसद पद की शपथ ले भी चुके है। बाकी बचे सांसद भी ले रहे है। इसके बाद सभी सांसद संसद के आधिकारिक सदस्य हो जाएंगे।
Lok Sabha session 2024: क्या संसद में कोई भी सांसद कहीं भी बैठ सकता है?
संसद में कौन-सा सांसद कहां बैठेगा, यह पहले से तय होता है। सत्र के दौरान सांसद अपनी सीट पर ही बैठते हैं। अपने मन से कोई भी कहीं भी नहीं बैठ सकता है।
पार्टी, पक्ष और विपक्ष के आधार पर तय होती है सीट
सांसद के बैठने की सीट उसकी पार्टी के सदस्यों की संख्या कितनी है इस आधार पर तय होती है। (Lok Sabha session 2024) दरअसल, संसद में सदस्यों के बैठने के लिए कई ब्लॉक होते हैं और पार्टी के सदस्यों की संख्या के आधार पर उनके ब्लॉक तय होते हैं। उदाहरण के तौर पर किसी पार्टी के पांच से ज्यादा सांसद हैं और किसी के पांच से कम तो दोनों के लिए अलग-अलग व्यवस्था होती है। इसी तरह निर्दलीय सांसदों को भी जगह दी जाती है।

सदन में सीटों का बंटवारा पक्ष और विपक्ष के आधार पर होता है। सदन में आगे के ब्लॉक्स में स्पीकर के दाईं तरफ सत्ता पक्ष बैठता है और बाईं तरफ विपक्ष बैठता है। (Lok Sabha session 2024) इसके साथ ही बाईं और एक सीट डिप्टी स्पीकर के लिए होती है और उस सीट के पास विपक्ष के फ्लोर लीडर बैठते हैं। ऐसे ऐसे समझिए इस बार दाईं और भाजपा व एनडीए के सहयोगी दल के सांसद बैठेंगे तो दूसरी ओर कांग्रेस के सांसद बैठेंगे।
फिर ऊपर के ब्लॉक्स में कम सांसद वाली पार्टियों को सीट अलॉट की जाती हैं। (Lok Sabha session 2024) फ्रंट रो में कौन बैठेगा, यह भी पार्टी के सदस्यों की संख्या के आधार पर तय होता है। जिस पार्टी के जितने ज्यादा सांसद, उसे उतनी ही सीटें मिलती हैं। सत्ता पक्ष से प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी के वरिष्ठ सांसद आगे बैठते हैं तो वहीं विपक्ष से भी विपक्ष के नेता और वरिष्ठ सांसद को जगह मिलती है।
सीट कौन तय करता है?
बता दें कि किस पार्टी के सांसद किस सीट पर बैठेंगे, यह फैसला सदन के स्पीकर की ओर से लिया जाता है। डायरेक्शन 122(a) के अंतर्गत लोकसभा अध्यक्ष हर सांसद को उसके नाम की सीट अलॉट करते हैं और फिर के अनुसार सांसद को सदन में अपनी सीट पर बैठना होता है। हालांकि, कुछ वरिष्ठ नेताओं को उनकी तबीयत व अन्य चीजों को ध्यान में रखकर सीट बंटवारे की व्यवस्था में बदलाव किया जाता है।