Bihar News: बिहार के महागठबंधन में इस वक्त काफी उठापटक चल रही है, और यह स्थिति चुनावी रणनीति पर गंभीर असर डाल सकती है। आरजेडी और कांग्रेस के बीच बढ़ते मतभेद अब साझा चुनाव प्रचार अभियान को लेकर सवाल उठाने लगे हैं। कई सीटों पर ‘फ्रेंडली फाइट’ की स्थिति बनने के बाद, दोनों पार्टियों के बीच दूरियां और भी बढ़ गई हैं। (Bihar News) इससे महागठबंधन का चुनावी समन्वय संकट में पड़ता हुआ नजर आ रहा है। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि आरजेडी और कांग्रेस के बीच साझा चुनावी घोषणा पत्र पर अभी तक कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई है, जिससे एकजुट होकर चुनाव प्रचार करना और भी मुश्किल हो रहा है।
Bihar News: महागठबंधन के बीच गतिरोध सुलझाने के लिए अशोक गहलोत का पटना दौरा
महागठबंधन की मेनिफेस्टो ड्राफ्ट कमेटी अब तक इस पर कोई ठोस फैसला नहीं ले पाई है। (Bihar News) दोनों पार्टियां अपने-अपने चुनावी वादों को लेकर अड़ी हुई हैं, और इस गतिरोध के चलते साझा घोषणापत्र तैयार करने में मुश्किलें आ रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अपने वरिष्ठ नेताओं को आरजेडी से गतिरोध खत्म करने के लिए मैदान में उतार सकती है। इसी सिलसिले में आज अशोक गहलोत का पटना दौरा तय हुआ है, और वह तेजस्वी यादव से मुलाकात भी कर सकते हैं। गहलोत का यह दौरा दोनों पार्टियों के बीच आपसी विवाद को सुलझाने के उद्देश्य से हो सकता है।
कांग्रेस ने कृष्ण अल्लावारु को बिहार प्रभारी पद से हटाया
इतना ही नहीं, बिहार में कांग्रेस के प्रभारी कृष्ण अल्लावारु के साथ रिश्तों में खटास आ चुकी है, जिसके बाद कांग्रेस ने उन्हें इस भूमिका से पीछे हटाने का निर्णय लिया है। कांग्रेस पार्टी ने समझा कि यदि बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करनी है, तो कृष्ण अल्लावारु की जगह किसी और को जिम्मेदारी दी जाए, ताकि महागठबंधन के भीतर समन्वय और विश्वास बहाल किया जा सके। (Bihar News) अब बात करें आरजेडी और कांग्रेस के चुनावी वादों की, तो दोनों दलों के चुनावी घोषणाएं और वादे लगभग एक जैसे हैं, लेकिन जब बात उनके संयुक्त घोषणा पत्र की आती है, तो कोई ठोस समझौता नहीं बन पा रहा है। महागठबंधन की मेनिफेस्टो ड्राफ्ट कमेटी अब तक इस पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है, और यह स्थिति साझा चुनाव प्रचार अभियान के लिए परेशानी का कारण बन रही है।
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महागठबंधन में मतभेद चुनावी संकट पैदा कर सकते हैं
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने इस संकट पर तंज कसते हुए कहा कि लालू प्रसाद यादव ही बिहार के एकमात्र बड़े नेता हैं, जबकि बाकी सभी पार्टियां महत्वहीन हैं। उन्होंने आगे कहा, “एक समय था जब कोई ‘SIR’ के नाम से घूमता था, लेकिन अब वह नेता न तो बिहार में और न ही देश में कहीं नजर आ रहे हैं। (Bihar News) लगता है वह अब अपने हनीमून पीरियड में हैं।” सम्राट चौधरी का यह बयान महागठबंधन के भीतर बढ़ते मतभेदों और अंतीम फैसले के लिए संघर्ष की ओर इशारा करता है। इस समय महागठबंधन के लिए स्थिति थोड़ी उलझी हुई है। यदि कांग्रेस और आरजेडी के बीच मतभेद ऐसे ही बढ़ते रहे, तो यह बिहार चुनाव पर गंभीर असर डाल सकता है। खासकर जब साझा चुनाव प्रचार की शुरुआत होनी हो, ऐसे में महागठबंधन को अपने आपसी मतभेदों को सुलझाने की जल्दी होगी, वरना यह उनके चुनावी प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है।









