Caste Census: मोदी सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए देशभर में जाति आधारित जनगणना कराने का ऐलान किया है। (Caste Census) सरकार ने आगामी जनगणना के साथ-साथ जाति आधारित गणना कराने का निर्णय लिया है। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस ब्रीफिंग में जानकारी देते हुए कहा कि अगली जनगणना में जातियों का भी विवरण एकत्र किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज फैसला किया है कि जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए।
यह कदम सामाजिक न्याय, समावेशी विकास और समान प्रतिनिधित्व की दिशा में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। (Caste Census) लंबे समय से विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों द्वारा इसकी मांग की जा रही थी। सरकार का कहना है कि जाति जनगणना से समाज के विभिन्न वर्गों की सही सामाजिक और आर्थिक स्थिति सामने आएगी, जिससे नीतियों और योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा।

Caste Census: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस पर लगाया आरोप
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जातीय जनगणना को लेकर कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला। (Caste Census) उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए कभी भी जातीय जनगणना को गंभीरता से नहीं लिया और अब वह इसे महज एक राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है। वैष्णव ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने जातीय जनगणना के मुद्दे को केवल अपने राजनीतिक हितों के लिए उठाया, लेकिन इसके पीछे के सामाजिक उद्देश्य की कभी चिंता नहीं की।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 246 के तहत कुछ राज्य सरकारों को सामाजिक सर्वेक्षण करने का अधिकार है, लेकिन अब जातीय आंकड़े राष्ट्रीय जनगणना के हिस्से के रूप में जुटाए जाएंगे ताकि देशभर में आंकड़ों की एकरूपता और सटीकता सुनिश्चित की जा सके।
सरकार ने मानी हमारी बात: तेजस्वी यादव
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार द्वारा जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल करने के फैसले पर प्रतिक्रिया दी । उन्होंने कहा, यह हमारी 30 साल पुरानी मांग रही है। यह सिर्फ हमारी नहीं, समाजवादियों और लालू यादव की भी बड़ी जीत है। तेजस्वी ने याद दिलाया कि पहले बिहार के सभी राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री से मिलकर यह मांग रखी थी, लेकिन उस समय इसे खारिज कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि कई केंद्रीय मंत्रियों ने पहले इससे इंकार किया, लेकिन आज हमारी ताकत ने उन्हें हमारे एजेंडे पर काम करने को मजबूर किया है।
उन्होंने आगे कहा, बिहार में जातिगत सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर जब हमने आरक्षण को बढ़ाकर 65% किया था, तब भी हमने केंद्र सरकार से मांग की थी कि इस प्रावधान को अनुसूची 9 में शामिल किया जाए, लेकिन अब तक सरकार ने ऐसा नहीं किया है। जातिगत जनगणना परिसीमन से पहले की जानी चाहिए और फिर जिस तरह से दलितों, एससी, एसटी और आदिवासियों के लिए संसद और राज्य विधानसभाओं में आरक्षित सीटें हैं, उसी तरह ओबीसी और अत्यंत पिछड़े वर्गों के लिए भी आरक्षित सीटें होनी चाहिए।