Waqf Bill: वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ देशभर के अलग अलग राज्यों से दाखिल याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। तीन जज सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच कुल 70 याचिकाओं के खिलाफ सुनवाई कर रही है। आप सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने वक्फ कानून को मुसलामानों के खिलाफ बताया। कपिल सिब्बल ने कहा कि यह कानून धार्मिक मामलों में दखल देता और यह बुनियादी जरूरतों का अतिक्रमण भी करता है।
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ के खिलाफ चल रही सुनवाई के दौरान असदुद्दीन ओवैसी, कपिल सिब्बल, अभिषेक मनुसिंघवी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, सहित अन्य याचिकाकर्ता के वकील कोर्ट में मौजूद हैं।
कपिल सिब्बल ने कोर्ट के सामने रखी ये दलील
वक्फ कानून को रद्द करने के पक्ष में अपनी दलीलें अदालत में पेश करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि इस्लाम धर्म में मृत्यु के बाद उत्तराधिकारी मिलता है। लेकिन इसमें सरकार वक्फ कानून के जरिये पहले ही हस्तक्षेप कर रही है। उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि धारा 3(सी) के तहत वक्फ के रूप में पहचानी गई या घोषित की गई सरकारी संपत्ति को अधिनियम के लागू होने के बाद वक्फ नहीं माना जाएगा।
महिलाओं को विरासत से वंचित रखने वाला राज्य कौन होता है – कपिल सिब्बल
आज सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल की दलीलें सुनने के बाद सीजेआई ने कहा कि अनुच्छेद 26 जिसमें धर्मनिरपेक्ष का हवाला दिया गया है। वो सभी समुदायों पर लागू होता है। हिन्दुओं में भी राज्य ने कानून बनाये हैं। हमारे देश की संसद ने मुसलमानों के लिए भी कानून बनाये हैं। इस पर सिब्बल ने बात रखते हुए कहा कि धारा 3(ए)(2)- वक्फ-अल-औलाद के गठन से महिलाओं को विरासत से वंचित नहीं किया जा सकता। इस बारे में कहने वाला राज्य कौन होता है?
जिसपर सवाल उठाते हुए सीजेआई ने कहा कि क्या ऐसा कोई कानून नहीं है जिससे अनुसूचित जनजातियों की संपत्ति को अनुमति के बिना हस्तांतरित नहीं किया जा सके? इस पर सिब्बल ने दावा करते हुए कहा कि मेरे पास एक चार्ट है जिसमें सभी मुसलमानों को अनुसूचित जनजाति माना गया है।
आज सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल की दलीलें सुनने के बाद सीजेआई ने कहा कि अनुच्छेद 26 जिसमें धर्मनिरपेक्ष का हवाला दिया गया है। वो सभी समुदायों पर लागू होता है। हिन्दुओं में भी राज्य ने कानून बनाये हैं। हमारे देश की संसद ने मुसलमानों के लिए भी कानून बनाये हैं। इस पर सिब्बल ने बात रखते हुए कहा कि धारा 3(ए)(2)- वक्फ-अल-औलाद के गठन से महिलाओं को विरासत से वंचित नहीं किया जा सकता। इस बारे में कहने वाला राज्य कौन होता है?
जिसपर सवाल उठाते हुए सीजेआई ने कहा कि क्या ऐसा कोई कानून नहीं है जिससे अनुसूचित जनजातियों की संपत्ति को अनुमति के बिना हस्तांतरित नहीं किया जा सके? इस पर सिब्बल ने दावा करते हुए कहा कि मेरे पास एक चार्ट है जिसमें सभी मुसलमानों को अनुसूचित जनजाति माना गया है।