Shani Pradosh Vrat Katha 2025 : वैसे तो घर में रोजाना महादेव की पूजा की जाती है, लेकिन प्रदोष व्रत का दिन विशेष है। इस तिथि पर भगवान शिव की आराधना करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती हैं। यह व्रत कन्याओं के लिए और भी कल्याणकारी माना गया है। कहते हैं कि यदि सच्चे भाव से प्रदोष तिथि पर उपवास रखा जाए, तो मनचाहा वर पाने की कामना पूरी होती है। पंचांग के मुताबिक जनवरी माह में यह व्रत 11 जनवरी 2025 को रखा जा रहा है, इस दिन शनिवार होने के कारण यह शनि प्रदोष कहलाएगा।
Pradosh Vrat 2025 : पाठ करने पर संतान सुख की प्राप्ति
ज्योतिषियों के अनुसार शनि प्रदोष व्रत नववर्ष 2025 का पहला प्रदोष व्रत है, इस तिथि पर शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है, जो सुबह 11:48 मिनट तक रहेगा। ऐसे में प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करना और भी लाभकारी हो सकता है, इस कथा का पाठ करने पर संतान सुख की प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है, आइए इस कथा के बारे में जानते हैं।
शनि प्रदोष व्रत कथा (Shani Pradosh Vrat Katha)
11 जनवरी को पहला शनि प्रदोष व्रत रखा जा रहा है, ऐसे में शनि प्रदोष व्रत की कथा पड़ना बहेद जरूरी होता है, कथा को लेकर ऐसी मान्यता है कि एक नगर सेठ धन-दौलत से सम्पन्न था और वह बेहद ही दयालु और अमीर हुआ करता था। कहते हैं कि जब भी कोई व्यक्ति उसके यहां जाता था तो वह कभी खाली हाथ नहीं आता था।
वह सेठ सभी को जी भरकर दान-दक्षिणा दिया करता था। परंतु सभी को खुश और सुखी रखने वाला सेठ और उसकी पत्नी दुखी रहते थे। इसका कारण था कि उनकी कोई संतान नहीं थी। इस बात को लेकर वह दोनों अक्सर परेशान रहा करते थे। एक दिन की बात है उन्होंने तीर्थयात्रा पर जाने का निर्णय लिया और वह सभी काम-काज को अपने सेवकों के हाथों सोंप कर यात्रा के लिए निकल पड़े। कहा जाता है कि जैसे ही सेठ और उसकी पत्नी यात्रा के लिए नगर से बाहर निकले थे कि उनकी नजर एक विशाल वृक्ष के नीचे समाधि लगाए एक तेजस्वी साधु पर पड़ी।
सेठ और उसकी पत्नी दोनों ने साधु महाराज से आशीर्वाद लेकर अपनी आगे की यात्रा शुरू करने योजना बनाई। इसके बाद वह दोनों समाधिलीन साधु के सामने बैठ गए और उनकी समाधि टूटने की प्रतीक्षा करने लगे। लेकिन समय बीतता गया सुबह से शाम और शाम से फिर रात हो गई लेकिन साधु की समाधि नहीं टूटी। लेकिन फिर भी वह दोनों बड़े धैर्यपूर्वक से वहां बैठे रहे।
माना जाता है कि फिर अंत में अगले दिन प्रातः काल साधु समाधि से उठे और उन्होंने सेठ और उनकी पत्नी से कहा कि ‘मैं तुम्हारे अन्तर्मन की कथा भांप गया हूं। मैं तुम्हारे धैर्य और भक्तिभाव से अत्यन्त प्रसन्न हूं।’…. साधु ने संतान प्राप्ति के लिए उन्हें शनि प्रदोष व्रत और शंकर भगवान की निम्न वन्दना करने की विधि बताई…इसके बाद सेठ और उसकी पत्नि तीर्थयात्रा से वापिस नगर लौटे तो वह विधिपूर्वक शनि प्रदोष व्रत करने लगे…उनके सच्चे भाव और शिवजी की कृपा से सेठ की पत्नी ने एक सुन्दर पुत्र को जन्म दिया।