Trump Threat to Gulf: ईरान पर सीधे अमेरिकी हमले के बाद खाड़ी क्षेत्र में सुरक्षा हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। ईरान की ओर से तीखी प्रतिक्रिया के बीच अब कुवैत, बहरीन, कतर और संयुक्त अरब अमीरात जैसे अमेरिकी सहयोगी देशों में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। (Trump Threat to Gulf) अमेरिका ने इन चारों देशों में अपने सैनिक ठिकानों की सुरक्षा व्यवस्था को ‘कोड रेड’ अलर्ट पर डालते हुए हर स्तर पर रक्षा कवच तैनात करना शुरू कर दिया है।

सूत्रों के अनुसार, ईरान ने खुले तौर पर यह चेतावनी दी है कि अमेरिका के सैन्य अड्डे और नागरिक अब उसके टारगेट पर हैं चाहे वे कहीं भी हों। (Trump Threat to Gulf) खुफिया रिपोर्ट्स में यह भी आशंका जताई जा रही है कि ईरान की अगली कार्रवाई खाड़ी क्षेत्र में स्थित अमेरिकी बेस पर हो सकती है, जहां हजारों सैनिक तैनात हैं और भारी मात्रा में हथियार व सैन्य उपकरण मौजूद हैं।
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विशेषज्ञों के मुताबिक, ईरान अमेरिका की कार्रवाई का बदला लेने के लिए मिसाइल या आत्मघाती ड्रोन हमलों का सहारा ले सकता है। (Trump Threat to Gulf) सबसे बड़ी चिंता यह है कि खाड़ी देशों की एयर डिफेंस प्रणाली इज़राइल जितनी उन्नत नहीं है। ऐसे में यदि ईरानी मिसाइलें अमेरिकी सैन्य ठिकानों या हथियार डिपो को निशाना बनाती हैं, तो भारी जान-माल का नुकसान हो सकता है। इस स्थिति में सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि इन मेजबान देशों की सुरक्षा भी गंभीर संकट में आ सकती है।
Trump Threat to Gulf: तैनाती बढ़ी, खतरा गहराया
ईरान की धमकी के बाद अमेरिका ने मिसाइल डिफेंस सिस्टम, एंटी-ड्रोन यूनिट्स और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी तंत्र को तैनात करना तेज कर दिया है। (Trump Threat to Gulf) सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि ईरान इन मुस्लिम देशों को अमेरिका के साथ खड़ा होने की ‘सजा’ देने के लिए रणनीतिक हमले कर सकता है।
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इस घटनाक्रम के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता गहराने लगी है। खाड़ी क्षेत्र न केवल रणनीतिक रूप से संवेदनशील है, बल्कि ऊर्जा संसाधनों के लिहाज से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत समेत एशिया के कई देश अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए इस क्षेत्र पर निर्भर हैं। ऐसे में क्षेत्र में किसी भी तरह की अस्थिरता वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर प्रत्यक्ष प्रभाव डाल सकती है। स्थिति गंभीर बनी हुई है और दुनिया की नजरें अब खाड़ी क्षेत्र की हर हलचल पर टिकी हैं।