Ayushman Card : यूपी के गोरखपुर समेत पूर्वांचल के शहरों में 100 बेड से कम वाले निजी अस्पतालों को आयुष्मान योजना से बाहर कर दिया जाएगा। यह निर्णय स्टेट हेल्थ एजेंसी आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (साची) की ओर से लिया गया है। इसका उद्देश्य योजना में धोखाधड़ी को रोकना और मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना है।
Ayushman Card : इस निर्णय का प्रभाव –
गोरखपुर जिले में सरकारी और निजी अस्पतालों में आयुष्मान योजना में इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या में काफी अंतर है। गोरखपुर में 162 निजी अस्पताल पंजीकृत हैं। इन अस्पतालों में बीते साढ़े पांच वर्ष में आयुष्मान कार्डधारक एक लाख 92 हजार 771 मरीजों का इलाज हुआ है। वहीं सरकारी अस्पतालों बीआरडी मेडिकल कॉलेज को छोड़ दें तो मरीज कहीं इलाज नहीं कराना चाहता है। गोरखपुर के 251 अस्पतालों को आयुष्मान योजना के तहत इलाज की मंजूरी मिली हुई है। इसमें 89 अस्पताल सरकारी व 162 निजी अस्पताल हैं। साची ने अस्पतालों की इस लंबी-चौड़ी सूची को देखकर ही रोक लगाने का फैसला लिया है।
दिलचस्प यह है कि 60 सरकारी अस्पतालों में एक भी मरीज ने इलाज नहीं कराया है। देश में वर्ष 2018 में आयुष्मान योजना में सरकारी अस्पतालों में 13002 मरीजों का इलाज हो चुका है। सबसे ज्यादा मरीजों का इलाज बीआरडी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और महिला अस्पताल में हुआ है। सीएमओ डॉ.आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि साची की तरफ से आदेश मिला है। आवेदन करने वाले जो अस्पताल नए मानक के मुताबिक नहीं होंगे। नियमानुसार अब 100 बेड से कम क्षमता वाले अस्पतालों को आयुष्मान की सुविधा नहीं मिलेगा। हालांकि आईएमए के सचिव डॉ.अमित मिश्रा का कहना है कि आयुष्मान का लाभ नहीं देने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। सिर्फ बड़े अस्पतालों का आयुष्मान में रजिस्ट्रेशन से कारपोरेट अस्पतालों को बढ़ावा मिलेगा।
Ayushman Card : यूपी इन शहरों में दिखेगा असर
गोरखपुर के अलावा लखनऊ, बनारस, कानपुर नगर, प्रयागराज, बरेली और मेरठ जिले के अधिकांश नए अस्पताल आयुष्मान की सूची में इम्पैनल्ड(संबद्ध) नहीं हो सकेंगे। इन जिलों में आयुष्मान योजना में नए अस्पतालों को शामिल करने पर भी अघोषित रोक लग गई है। साची की सीईओ संगीता सिंह ने 100 बेड से कम क्षमता वाले अस्पतालों को आयुष्मान सुविधा देने पर रोक लगा दी है।