Mukhtar Ansari: फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को उम्रकैद की सजा। एमपी-एमएलए कोर्ट ने माफिया मुख्तार को फर्जी शस्त्र मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है। बांदा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे अंतरराज्यीय गिरोह (आईएस-191) के सरगना माफिया मुख्तार अंसारी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मुख्तार को गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोषी पाया है। बुधवार को विशेष न्यायाधीश (वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट) अवनीश उपाध्याय की कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई। सुनवाई के दौरान मुख्तार वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बांदा जेल से जुड़ा रहा।
मुख्तार के वकील श्रीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि घटना के समय मुख्तार की उम्र केवल 20 से 22 वर्ष रही। उस समय कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा, उस पर शस्त्र लाइसेंस लेने के लिए लाभ उठाने व साजिश का आरोप लगा। वकील ने कहा कि मुख्तार उस समय जनप्रतिनिधि भी नहीं थे, शस्त्र खरीदने का साक्ष्य नहीं है। भ्रष्टाचार के आरोप से बरी हो गए हैं, ऐसे में इस अदालत को दोषी पाए गए धाराओं में सजा सुनाए जाने का अधिकार नहीं है।
Mukhtar Ansari: 20 मामले अभी लंबित
वहीं अभियोजन की ओर से कहा गया कि प्रभाव का इस्तेमाल किया गया, जो समाज विरोधी अपराध है। सात मामलो में सजा सुनाई जा चुकी है। जिसमें उम्रकैद भी शामिल है। 20 मामले अभी लंबित हैं। ऐसे में अधिकतम सजा दी जाए।
इससे पहले नेट समस्या के चलते आधे घंटे बाद मुख्तार वीसी के जरिये जुड़ सका। सुनवाई के दौरान उसने कहा कुछ सुनाई नहीं दे रहा है। रुक- रुककर आवाज आ रही है। बाद में अपने अधिवक्ता आदित्य वर्मा से अदालत से अनुमति लेकर पांच मिनट बात करने का अनुरोध भी किया। जिस पर कोर्ट ने अनुमति दे दी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, मुख्तार अंसारी ने 10 जून 1987 को दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर के जिलाधिकारी के यहां प्रार्थना पत्र दिया था। आरोप था कि जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर उसने शस्त्र लाइसेंस प्राप्त किया था।
फर्जीवाड़ा उजागर होने पर सीबीसीआईडी द्वारा चार दिसंबर 1990 को मोहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद और अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 1997 में अदालत में आरोप पत्र प्रेषित किया गया। सुनवाई के दौरान गौरीशंकर की मृत्यु हो जाने के कारण उसके विरुद्ध 18 अगस्त 2021 को मुकदमा समाप्त कर दिया गया। अब एमपी-एमएलए कोर्ट ने फर्जी शस्त्र मामले में माफिया मुख्तार को उम्र कैद की सजा सुनाई है।