UP News: सोशल मीडिया पर अक्सर आप पीला वेश धारण करके आध्यात्मिक वचनों से लोगों को मोहकर धर्म का ज्ञान देने वाले प्रेमानन्द की महाराज को जरूर सुनते व देखते होंगे। अनेकों सामाजिक व प्रतिष्ठित लोगों को धर्म की ओर मोड़ने वाले प्रेमानन्दजी महाराज से गुरुवार को उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने वृन्दावन में मुलाकात की। (UP News) इस दौरान प्रेमानन्दजी महाराज ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक व उसके साथ पहुंची उनकी पत्नी को आशीर्वाद देते हुए सफलता का मंत्र दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आपका पद अंतिम पद नहीं है, बल्कि अभी बहुत आगे जाना है।

UP News: पाठक से बोले प्रेमानन्द जी महाराज- ’भगवत प्राप्ति के लिए साधु बनना जरूरी नहीं’
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक व उनकी पत्नी को आशीर्वचन देते हुए प्रेमानन्द जी महाराज ने कहा कि हमारा मनुष्य जन्म केवल भगवत प्राप्ति के लिए हुआ है। भगवत प्राप्ति का मतलब ये नहीं कि साधु महात्मा बन जाएं या एकांत में बैठकर माला जप लें। (UP News) भगवत प्राप्ति के लिए आप जो कर्तव्य कर रहे हैं, उसे ईमानदारी से करें और भगवान के नाम का जप करें, यही दोनों भगवत प्राप्ति के मार्ग हैं।

महाराज ने पाठक को दिया सफलता मंत्र, कहा- ईमानदारी से निभाएं जिम्मेदारी
प्रेमानन्द जी महाराज ने ब्रजेश पाठक को सफलता का मंत्र देते हुए कहा कि आपको जो पद मिला है या जो समाज सेवा की जिम्मेदारी मिली है, उसे सच्चे मन से ईमानदारी के साथ राष्ट्रसेवा के भाव से करें और ईश्वर के नाम का जप करें तो इसी से भगवान की प्राप्ति हो जाएगी। (UP News) उन्होंने कहा कि जब युद्ध से भगवत प्राप्ति हो सकती है, जो समाजसेवा करके भी भगवान की प्राप्ति की जा सकती है।
’प्रलोभन और भय से बचने का दिया मंत्र’
प्रेमानन्द जी महाराज ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को विजय का मंत्र देते हुए कहा कि प्रलोभन और भय जैसे शब्द हमें नीचे गिरा देते हैं। ऐसे में सफलता पाने के लिए किसी का भय नहीं मानना है और कोई प्रलोभन नहीं रखना है। जो विधान ने प्रभु ने रच दिया है, उसके विपरीत किसी की ताकत नहीं है कि कोई एक बाल भी बांका कर सकें। बिल्कुल निर्भय रहते हुए किसी का भय नहीं रखना चाहिए और प्रलोभन से बचना चाहिए। जब हम प्रलोभन से प्रभावित होते हैं तो धर्म से चित होते हैं। यदि प्रलोभन से बच गए तो हमारा विकास सांसारिक भी होगा और परलोक में भी होगा। अभी जो पद है, उससे भी आगे भगवान सेवा देंगे। ये अंतिम पद नहीं है। इसके आगे परम पद है भगवान की प्राप्ति।