UP News : इलाहादबाद हाईकोर्ट आज गाजीपुर के सासंद अफजाल अंसारी के राजनीतिक भविष्य पर फैसला सुनाएगा। कृष्णानंद राय हत्याकांड (Krishnanand Rai Murder Case) में गाजीपुर की MP/MLA कोर्ट ने अफजाल अंसारी को चार साल की सजा सुनाई थी। इसी फैसले पर आज हाईकोर्ट अपना फैसला देगा।बीते चार जुलाई को कोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की अदालत कर रही है। अगर कोर्ट अफजाल अंसारी को दो साल से ज्यादा की सजा देती है तो उनकी संसद सदस्यता रद्द हो जाएगी। अफजाल का राजनीतिक भविष्य आज के फैसले पर टिका हुआ है।
UP News : हाईकोर्ट सुनाएगा फैसला
गाजीपुर एमपी/एमएलए कोर्ट के फैसले को अफजाल अंसारी ने हाईकोर्ट से रद्द करने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने सासंद के अपील को खारिज कर दिया। फिर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने सजा को निलंबित करते हुए मामले को सुनवाई के लिए वापस हाईकोर्ट भेज दिया। वहीं राज्य सरकार और कृष्णानंद राय के बेटे ने हाईकोर्ट में चार साल की सजा को और बढ़ाने की अपील की थी। इसी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट चार जुलाई को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा।
UP News : रद्द हो सकती संसद सदस्यता
अनुच्छेद 102(1) और 191(1) के अनुसार अगर संसद या विधानसभा का कोई सदस्य, लाभ के किसी पद को लेता है, दिमाग़ी रूप से अस्वस्थ है, दिवालिया है या फिर वैध भारतीय नागरिक नहीं है तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाएगी। दूसरा नियम संविधान की दसवीं अनुसूची में है। इसमें दल-बदल के आधार पर सदस्यों को अयोग्य ठहराया जा सकता है।
इसके अलावा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किसी सांसद या विधायक की सदस्यता रद्द हो सकती है। इसके अनुसार आपराधिक मामलों में सज़ा पाने वाले सांसद या विधायक की सदस्यता को रद्द किया जा सकता है। इसलिए अगर अफजाल अंसारी की सजा बरकरार रहती है या बढ़ाई जाती है तो उनकी सदस्यता रद्द हो सकती है। ऐसा होने पर गाजीपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव होंगे।
UP News : दोनों पक्षों में हुई बहस
अफजल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी, दयाशंकर मिश्रा और उपेंद्र उपाध्याय उनका पक्ष रख रहे हैं। अफजाल के पक्ष ने कोर्ट में कृष्णानंद राय हत्याकांड के कारण शुरू हुए गैंगस्टर की कार्रवाई को अवैधानिक बताया था।
इसके पीछे उनका तर्क था कि अफजाल अंसारी कृष्णानंद राय हत्याकांड से पहले ही बरी हो चुके हैं। इसपर सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव ने विरोध किया। उन्होंने कोर्ट में कहा था कि केवल राजनीतिक रसूख और बढ़ती उम्र के आधार पर कम सजा नहीं दी जा सकती। ऐसा करने पर लोगों का मनोबल और विश्ववास टूट जाएगा।