CAA News : लोकसभा चुनाव से पहले संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के क्रियान्वयन की खबरों के बीच केंद्रीय जहाजरानी राज्यमंत्री शांतनु ठाकुर ने बड़ा दावा किया है कि देश में अगले एक सप्ताह में सीएए लागू हो जाएगा।
CAA News : केंद्रीय मंत्री ने किया बड़ा दावा
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के क्रियान्वयन की खबरों के बीच केंद्रीय जहाजरानी राज्यमंत्री शांतनु ठाकुर ने बड़ा दावा किया है कि देश में अगले एक सप्ताह में सीएए लागू हो जाएगा। बंगाल के बनगांव से भाजपा सांसद ठाकुर ने कहा कि मैं ये गारंटी दे रहा हूं कि अगले सात दिनों में सिर्फ बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश में सीएए लागू होगा। दक्षिण 24 परगना जिले के काकद्वीप में एक सार्वजनिक बैठक में उन्होंने यह दावा किया।
CAA News : देश में लागू हो जाएगा सीएए
मंत्री ने स्पष्ट कहा कि सीएए लागू करने को लेकर कोई संशय नहीं है। इससे पहले दिसंबर में बंगाल दौरे पर आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीएए को देश का कानून बताते हुए कहा था कि इसके लागू होने से कोई नहीं रोक सकता है। उन्होंने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व तृणमूल पर सीएए को लेकर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया था।
इधर, ठाकुर के दावे पर राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने फिर दोहराया कि राज्य में सीएए किसी हाल में लागू नहीं होगा। तृणमूल के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल घोष ने भाजपा व केंद्र पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव से पहले लोगों को गुमराह करने के लिए ऐसी खबरें फैलाई जा रही है।
CAA News : 2019 में पारित हुआ था सीएए कानून
दरअसल, इस कानून के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए प्रताड़ित गैर मुस्लिमों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता दी जाएगी। दिसंबर 2019 में ही संसद से सीएए पारित किया गया था।
कानून पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद देश के कुछ हिस्सों में इसको लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद कोरोना महामारी भी आ गया। इसके चलते इस कानून का अब तक क्रियान्वयन नहीं हो सका है। 2020 में बंगाल विधानसभा ने सीएए के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया था। ममता व तृणमूल सीएए का लगातार विरोध कर रही हैं। ममता बार- बार दोहरा चुकी हैं कि बंगाल में हम सीएए, एनपीआर और एनआरसी की अनुमति नहीं देंगे।
सीएए के लागू होने को लेकर राजनीतिक दलों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। सीएए के समर्थक इसे गैर मुस्लिमों के लिए राहत का कानून बताते हैं, जबकि विरोधी इसे सांप्रदायिक कानून बताते हैं। सीएए के लागू होने से देश की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति पर भी असर पड़ने की संभावना है।