Earthquake: दिल्ली एनसीआर में भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए। मंगलवार दोपहर करीब 2.51 पर आए भूकंप के झटकों की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.2 मापी गई। भूकंप का केंद्र नेपाल के दिपायल में था। इससे पहले नेपाल में दोपहर 2.25 मिनट पर भी भूकंप का झटका महसूस किया गया था, इसकी तीव्रता 4.6 मापी गई थी। भूकंप के झटके दिल्ली, यूपी समेत कई राज्यों में महसूस किए गए। बीते जून में भी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भूकंप के झटके महसूस किए गए।
पिछले कुछ समय से भारत, नेपाल, पाकिस्तान, भूटान के पहाड़ी इलाकों में भूकंप के झटके बार-बार आ रहे हैं। खासतौर पर हिमालयन रेंज में लगातार झटके महसूस किए जा रहे हैं। इसको लेकर आईआईटी कानपुर की रिसर्च में बड़ा दावा किया है। इसके अनुसार, भारत के हिमालयन राज्यों में कभी भी भयावह भूकंप आ सकता है। यह भूकंप 1505 और 1803 में आए भूकंप जैसा हो सकता है। आइए जानते हैं कि रिसर्च में क्या-क्या मालूम चला है? आइए जानते हैं…
इसे समझने के लिए हमने आईआईटी कानपुर सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सीनियर प्रोफेसर और जियोसाइंस इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ प्रो. जावेद एन मलिक से बात की। (Earthquake) उन्होंने कहा, ‘हिमालय रेंज में टेक्टोनिक प्लेट अस्थिर हो गई है। इसके चलते अब लंबे समय तक इस तरह के भूकंप आते रहेंगे। इस बार आए भूकंप का भी यह एक बड़ा कारण है। ये झटके हिमालयन रेंज पर आते हैं। जम्मू कश्मीर, लद्दाख, नेपाल, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में आने वाले भूकंप का असर कई बार दिल्ली एनसीआर और आसपास के राज्यों में भी देखने को मिलता है।’
प्रो. जावेद मलिक ने बताया कि वह और उनकी टीम लंबे समय से भूकंप को लेकर अध्ययन कर रही है। इसमें भारत के लिए एक तरह की चिंताजनक स्थिति बन रही है। अगर लोग सोच रहे हैं कि भारत में बड़े भूकंप नहीं आएंगे तो वह गलत हैं। आगे प्रो. मलिक ने तीन बिंदुओं में बताया कि उनके अध्ययन में क्या बातें सामने आई हैं?
- भारत के हिमालयन रेंज में बड़े भूकंप की आशंका: हिमालयन रेंज यानी नेपाल, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बड़ा भूकंप आ सकता है। इसकी तीव्रता 7.8 से 8.5 के बीच रह सकती है। यह बड़ा खतरा है। इससे हम मुंह नहीं मोड़ सकते हैं।
- भूकंप के समय में प्रवेश कर चुका है भारत: अब सवाल उठता है कि भारत में कब तक इस तरह का भूकंप आ सकता है? इसका जवाब देते हुए प्रो. मलिक ने बताया, ‘हम लोग (भारत) भूकंप की साइकिल जोन में पहले से ही प्रवेश कर चुके हैं। मतलब हम लोग उस टाइमलाइन में दाखिल हो चुके हैं, जब कभी भी किसी भी वक्त हिमालयन रेंज में भयावह भूकंप के झटके आ सकते हैं। हिमालय भी इस ओर इशारा कर रहा है।’
- हिमालयन रेंज में भूकंप का असर पूरे उत्तर भारत में दिखेगा: प्रो. मलिक कहते हैं, जब भी हिमालयन रेंज में भूकंप के झटके आएंगे, तब उसका असर पूरे उत्तर भारत में देखने को मिलेगा। फिर समतल जगह ही क्यों न हो। वहां भी गंभीर असर होगा। उत्तराखंड में खासतौर पर गढ़वाल और कुमायूं वाले इलाके रेड जोन में हैं। ये इलाके भूकंप के केंद्र हो सकते हैं।
प्रो. मलिक ने पुराने भूकंप के झटकों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा, 1505 और 1803 में उत्तराखंड में तीव्र भूकंप आ चुका है। 1505 में आए भूकंप का उल्लेख अकबरनामा और बाबरनामा में भी है। उस दौरान काफी नुकसान हुआ था। इसी तरह 1803 में भी तीव्र भूकंप आया था। जिसका असर दिल्ली एनसीआर, मथुरा तक देखने को मिला था। उस दौरान भी काफी नुकसान उठाना पड़ा था।
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।
भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।