Entertainment: भारतीय संगीत के दो दिग्गज कलाकार, पंडित भीमसेन जोशी और लता मंगेशकर, दोनों ही अपने क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ थे। दोनों को ही भारत रत्न से सम्मानित किया गया, लेकिन लता मंगेशकर ने कहा था कि जब उन्हें भारत रत्न मिला तो उन्हें खुशी के साथ-साथ तकलीफ़ भी हुई।
लता मंगेशकर ने कहा था कि पंडित भीमसेन जोशी को भारत रत्न पहले मिलना चाहिए था। (Entertainment) वे शास्त्रीय संगीत के एक महान गायक थे, जिनकी आवाज़ में अद्भुत जादू था। उन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
लता मंगेशकर ने कहा कि वे पंडित भीमसेन जोशी की बहुत बड़ी प्रशंसक थीं। (Entertainment) वे उनके संगीत से बहुत प्रभावित थीं। उन्हें लगता था कि पंडित भीमसेन जोशी को भारत रत्न मिलने में बहुत देर हो गई थी।
लता मंगेशकर की बात में कोई दोराय नहीं है। पंडित भीमसेन जोशी एक महान संगीतकार थे, जिन्होंने भारतीय संगीत को समृद्ध किया। उन्हें भारत रत्न मिलने में देर हुई, लेकिन यह सम्मान उन्हें देकर भारत सरकार ने सही काम किया।
पंडित भीमसेन जोशी को भारत रत्न मिलने के बाद, लता मंगेशकर ने एक पत्र लिखकर उन्हें बधाई दी। (Entertainment) उन्होंने लिखा कि वे पंडित भीमसेन जोशी को भारत रत्न मिलने से बहुत खुश हैं। उन्होंने कहा कि पंडित भीमसेन जोशी के लिए यह सम्मान बहुत ही उचित है।
लता मंगेशकर और पंडित भीमसेन जोशी दोनों ही भारतीय संगीत के इतिहास में अमर रहेंगे। उनके संगीत ने लोगों को प्रेरित किया और उन्हें संगीत के प्रति प्रेम करना सिखाया।
Entertainment: खूब सुने जाते हैं पंडित भीमसेन जोशी के भजन
यूं तो भजन को उप शास्त्रीय गायन की शैली में गिना जाता है लेकिन दिग्गज कलाकार जब भजन या गजल गाते हैं तो उनका अंदाज भी अलग ही होता है. पंडित भीमसेन जोशी इसी सोच के कलाकार थे. आप पंडित कुमार गंधर्व, पंडित जसराज, किशोरी अमोनकर जैसे कलाकारों को सुनिए तो ये बात अच्छी तरह समझ आ जाएगी. (Entertainment) जहां भजनों में गायकी की शुद्धता और शास्त्रीयता का पूरा ध्यान बरता गया है. पंडित भीमसेन जोशी ने कन्नड़, संस्कृत, हिंदी और मराठी में ढेरों भजन और अभंग भी गाए हैं. जो भजे हरि को सदा, जय जगदेश्वरी माता सरस्वती, बाजे रे मुरलिया बाजे, तुम मेरी राखो लाज हरि, गुरु बिन कौन जैसे भजन भी पंडित भीमसेन जोशी की बड़ी पहचान हैं. इनमें से कई भजन उन्होंने लता जी के साथ भी गाए हैं.
शास्त्रीय कार्यक्रमों में राग शुद्ध कल्याण, राग मुल्तानी, राग मियां की तोड़ी, राग मारवा, राग पूरिया धनाश्री, राग रामकली, राग दरबारी और राग भीमपलासी पंडित भीमसेन जोशी के पंसदीदा थे. जिन कलाकारों को पंडित जी से मिलने का सौभाग्य मिला वो बताते हैं कि जोशी जी बड़े सीधे-सादे इंसान थे. उन्हें कार चलाने का शौक था. मर्सिडीज की कारें उन्हें पसंद थीं. उस्ताद शुजात खान बताते हैं कि यूरोप में तो ऐसा होता था कि आपको कहीं पंडित जी मिल गए तो अगले कुछ दिन आप वापस हिंदुस्तान नहीं आ सकते. वो कलाकारों को साथ में घुमाते-फिराते और कार्यक्रम कराते थे. पंडित जी जवान थे तो तैराकी, योग और फुटबॉल खेलने का शौक भी रखते थे. हिंदुस्तान के शास्त्रीय संगीत के बरसों-बरस पुराने इतिहास के सबसे नायाब, सबसे अनोखे, सबसे समर्पित कलाकार के तौर पर पंडित भीमसेन जोशी हमेशा संगीत प्रेमियों की स्मृतियों में रहेंगे.