Labour Day 2024 : कहने को तो आज एक मई को मजदूर दिवस है। जिनके लिए यह मनाया जाता है, इसकी जानकारी खुद मजदूरों को भी नहीं है। उन्हें तो दो जून की रोटी की फिक्र है। वह तो केवल परिवार के पालन पोषण में लगे रहते हैं। बुधवार को आसमान से आग बरस रही है और मजदूर अपने और परिवार के पेट की आग बुझाने में जी जान लगाए हुए हैं। इन्हें यह नहीं पता कि बुधवार को मजदूर दिवस है। मजदूर दिवस से ज़ब हमने इन लोगों से मजदूर दिवस के बारे में वार्ता की तो एक होटल पर काम करने वाले मजदूर धर्मपाल ने बताया कि मजदूर दिवस मनाने से भी हमें क्या मिल रहा है। हम तो पहली बार सुन रहे हैं कि ऐसा भी कोई दिवस मनाया जाता है।
Labour Day 2024 : पेट भरने के लिए करनी पड़ती है मजदूरी
अगर एक दिन मजदूर दिवस मनाने के चक्कर में काम पर नहीं गये तो फिर काफ़ी नुकसान हो जाएगा। क्योंकि जो हम शाम तक मजदूरी करके लाते हैं उसी से खर्चा चलता है। यहां तो हम लोगों को रोज कमाना है और रोज का खाना है। बाइक ठीक कर रहे मिस्त्री नें बताया कि दुकान पर सुबह से लेकर शाम तक काम करने में 300 रुपये मिलते हैं। अगर एक दिन मजदूरी दिवस मनाने बैठ गए तो फिर तीन सौ रुपये का नुकसान हो जाता है। नहीं पता की मजदूर दिवस होता क्या है। वैसे भी हमें क्या लेना मजदूर दिवस से हमें तो रोज मजदूरी करके अपने घर का पेट पालना है।
Labour Day 2024 : शहर के बीचो-बीच लगती है मजदूरों की मंडी
शहर के अतरपुरा चौपले पर मजदूरों से बात की गई तो कई मजदूरों को यह मालूम नहीं था कि बुधवार को उनका दिवस है। शहर के चौक चौराहों पर सूर्योदय के पहले ही दूर-दूर गांवों से मजदूर आकर खड़े हो जाते हैं। सड़क के दोनों ओर मजदूरों की कतार लगी रहती है। इन मजदूरों को काम देने वाले का इंतजार रहता है।
पूरे शहर को पता है कि प्रत्येक दिन यहां मजदूरों की तादाद काम की तलाश में जुटती है। राज मिस्त्री से लेकर बगीचे में काम करने वाले भी मजदूर यहां मिल जाते हैं। जिसे भी मजदूर की जरूरत होती है सुबह- सुबह यहां पहुंच जाते हैं। यहां बिकने के लिए खड़े मजदूरों से मोल भाव करते फिर उन्हें काम पर ले जाते हैं। यहां काम के लिए वर्षों से पहुंच रहे हैं। 48 वर्षीय राजू का कहना हैं कि जब से उन्होंने होश संभाला है, इस जगह काम के लिए पहुंच रहे हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि प्रतीक्षा के बाद भी काम नहीं मिलने पर निराश होकर लौटना पड़ता है।
Labour Day 2024 : पेट भरने के लिए 12 घंटे लगातार काम
न पीने को साफ पानी मिलता है और न ही स्वच्छ वातावरण। शहर के किसी गंदे नाले के आसपास बसने वाली झोपड़ पट्टियों में रहने वाले गरीब तबके के मजदूर कैसा नारकीय जीवन गुजारते हैं, उसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है। मगर इसको अपनी नियति मान कर पूरी मेहनत से अपने मालिकों के यहां काम करने वाले मजदूरों के प्रति मालिकों के मन में जरा भी सहानुभूति के भाव नहीं रहते हैं। उनसे 12-12 घंटे लगातार काम करवाया जाता है। घंटो धूप में खड़े रहकर बड़ी बड़ी कोठियां बनाने वाले मजदूरों को एक छप्पर तक नसीब नहीं हो पाता है। शहर में सड़क के किनारे मजदूरों की मंडी लगती है। ऐसे में यह आसानी से कल्पना किया जा सकती है कि मजदूरों के लिए शौचालय व पानी की क्या व्यवस्था होगी। भीषण गर्मी में भी धूप से राहत के लिये कोई व्यवस्था नहीं है।
Labour Day 2024 : मजदूर आज भी पहले की तरह मजबूर
मजदूरों ने बताया कि सरकार ने श्रमिक व उनके परिवार के हिते में कई योजनाए चलाई। लेकिन यह अंतिम पायदान पर खड़े गरीब श्रमिक की हालत नहीं बदल सकी। 100 दिन काम की गारंटी योजना हो या श्रमिक वृद्धा पेंशन योजना। मजदूरों कौ आज तक न काम की गारंटी मिली और न ही उन्हें शोषण से आजादी। श्रमिक आज भी दो वक्त की रोटी के लिए दिनभर जद्दोजहद करता दिखाई दे रहा है। देश आज मजदूर दिवस मना रहा है, लेकिन मजदूर के दिन आज भी नहीं बदते। मजदूर आज भी मजबूर है।