Lucknow News : एक तरफ पुलिस का अपराधियों के लिए सख्त रवैया देख किसी की भी रूह कांप जाती है। तो वहीं पुलिस को मानवीय चेहरा हर किसी को खाकी पर विश्वास करने पर मजबूर भी कर देता है। ऐसा ही एक मामला राजधानी लखनऊ से सामने आ रहा है। जहां लखनऊ पुलिस के मानवीय व्यवहार की हर कोई सराहना कर रहा है। यहां बीमार पति की मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार के लिए दर-दर भटक रही महिला को पुलिस ने सहारा दिया। पुलिस ने मृतक को कंधा देकर पूरे हिंदू रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार कराया।
Lucknow News : पति की मौत के बाद पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल
राजधानी लखनऊ के मीराबाई मार्ग पर स्थित नेशनल कॉलेज के पास बबलू तिवारी (48) पुत्र सालिकराम तिवारी अपनी पत्नी के साथ फुटपाथ पर रहकर आजीविका चलाता था। बीते कुछ दिनों से बबलू तिवारी की तबियत बेहद खराब चल रही थी। मंगलवार सुबह अचानक ज्यादा तबियत बिगड़ने के चलते उसकी मौत हो गयी। पति की मौत के बाद पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल था। उसे इस बात की चिंता थी कि आखिर अब पति का अंतिम संस्कार कैसे होगा। अंतिम संस्कार के लिए भी उसके पास रुपए नहीं थे।
Lucknow News : हिंदू रीति-रिवाज के साथ किया अंतिम संस्कार
वहीं जब इस बात की जानकारी हज़रतगंज इंस्पेक्टर विक्रम सिंह को हुई। तो वह तुरंत पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और महिला को ढ़ाढंस बंधाया। साथ ही मृतक के अंतिम संस्कार की पूरी तैयारी भी करवायी। यहीं नहीं हजरतगंज इंस्पेक्टर विक्रम सिंह और उनके साथ पहुंचे सिपाहियों ने अर्थी को कंधा दिया। पुलिस अर्थी को भैषाकुंड ले गयी। जहां पूरे हिंदू रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया गया। पुलिस ने युवक का विधिवत अंतिम संस्कार कराकर मानवता की मिसाल पेश की है। जिसकी चहुंओर प्रशंसा हो रही है।
Lucknow News : दबंग और दयालु का कॉम्बिनेशन हैं इंस्पेक्टर विक्रम सिंह
खाकी वदी के पीछे भावुक और दयालु व्यक्तित्व भी हो सकता है। इसका प्रमाण हजरतगंज इंस्पेक्टर विक्रम सिंह हैं। यह कोई पहला अवसर नहीं है। जब इंस्पेक्टर विक्रम सिंह ने इंसानियत की मिसाल पेश की हो। वह ऐसी परिस्थितियों में कई बार उदारता का परिचय दे चुके है। वह सर्दियों को लोगों को कंबल वितरण और निराश्रित बच्चों की भी मदद करते हैं। इससे पूर्व राजधानी के कृष्णानगर में तैनाती के दौरान इंस्पेक्टर विक्रम सिंह ने अपने दयालु स्वभाव का उदाहरण पेश किया था। जब अस्पताल में वृद्ध महिला की मौत के बाद उनके बेटे शव को छोड़कर भाग गये। तब विक्रम सिंह ने आगे बढ़कर एक पुत्र की तरह वृद्धा का अंतिम संस्कार कराया था।