Moradabad News: मुरादाबाद दिल्ली रोड की पहचान अब एक और खास वजह से होगी। यहां पहला ऐसा अनूठा डिजिटल साहित्य पथ बनाया गया है जो शायद ही यूपी के किसी शहर में हो। संस्कृति प्रहरी के नाम से इसको पहचान दी गई है। (Moradabad News) इलेक्ट्रिक पैनलों में यहां दुष्यंत कुमार, जॉन ऐलिया, जिगर मुरादाबादी और सारंगीवादक उस्ताद साबरी खान जैसे लोगों के फोटो के साथ उनका परिचय, वीडियो सब दिखेंगे। मुरादाबाद साहित्य और कला संस्कृति के रूप में काफी समृद्ध रहा है। इसी के चलते मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह और नगर आयुक्त दिव्यांशु पटेल ने इस सोच को धरातल पर उतारा।
साहित्य कला से जुड़े लोगों के लिए नगर निगम की पहल स्वागत योग्य है। नगर आयुक्त ने दिल्ली रोड सर्किट हाउस के सामने वाली लेन में दस पैनल लगवाए हैं। जिनमें मंडल की उन महान विभूतियों को स्थान दिया है जिन्होंने मुरादाबाद को अपनी कला और साहित्य और हुनर से देश विदेश में खासी ख्याति पाई। (Moradabad News) जिगर मुरादाबादी के शेर तो मशहूर फिल्म डायरेक्टर महबूब खान की हर फिल्म का हिस्सा होते थे। वहीं दुष्यंत के शेर सड़क से संसद तक आज तक सुनाई देते हैं। अमरोहा निवासी जॉन एलिया को भला कैसे भुलाया जा सकता है। उनके शेर अभी तक सोशल मीडिया पर छाए रहते हैं। सारंगी वादक उस्ताद साबरी खान की सारंगी यह सब इस डिजिटल साहित्य पथ के इलेक्ट्रानिक पैनलों में चित्रों और परिचय के साथ फ्लैश हो रहे हैं जो अनायास ही ध्यान खींचते हैं। नगर आयुक्त दिव्यांशु पटेल के अनुसार यह प्रदेश ही नहीं देश का पहला डिजिटल साहित्य पथ होगा जिसमें इस तरह का प्रयोग किया है। आम तौर पर लोग साहित्यकारों की मूर्तियां लगवा देते हैं पर उनकी रचनाओं से लोग अपरचित रहते हैं पर अब यहां रचनाओं को लोग जान सकेंगे।

मुरादाबाद नगर निगम की ओर से जो पहल की गई है वह तारीफ काबिल है। (Moradabad News) स्मार्ट सिटी में अन्य कार्यों के साथ इस तरह से कला संस्कृति और साहित्यकारों के बारे में सोचा गया जो अनुकरणीय और प्रशंसनीय है। इससे हमारे शहर को एक नई पहचान भी मिलेगी। इससे तमाम लोग वाकिफ होंगे।
मुरादाबाद में बने इस डिजिटल साहित्य पथ की अनूठी विशेषता यह है कि यह देश का पहला ऐसा साहित्य पथ है, जो पूरी तरह से डिजिटल स्वरूप में मौजूद है। (Moradabad News) यहां आने वाले लोग अपने मोबाइल के जरिए भी इन डिजिटल पैनल्स से जुड़ी जानकारी स्कैन कर साहित्यकारों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
इस ऐतिहासिक पहल से न केवल मुरादाबाद, बल्कि पूरे देश के साहित्य प्रेमियों को लाभ मिलेगा और डिजिटल युग में साहित्य के प्रचार-प्रसार को नई दिशा मिलेगी।