Ram Mandir: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित आयुर्वेदा फाउंडेशन चेरिटेबल ट्रस्ट के सहयोग से किए गए सर्वेक्षण के निष्कर्षों का हवाला देते हुए, आरएसएस से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने दावा किया है कि देश के 74 प्रतिशत मुसलमान अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से खुश हैं।
सर्वेक्षण में देश के 10 राज्यों के 10,000 मुसलमानों का सर्वे किया गया। (am Mandir) सर्वे में शामिल लोगों में 60 प्रतिशत पुरुष और 40 प्रतिशत महिलाएं थीं। सर्वे में शामिल लोगों की उम्र 18 से 65 वर्ष के बीच थी।
सर्वेक्षण के अनुसार, 74 प्रतिशत मुसलमानों का मानना है कि भगवान राम सभी के हैं। 70 प्रतिशत मुसलमानों को लगता है कि राम मंदिर का निर्माण भारत के लिए एक अच्छा कदम है। 72 प्रतिशत मुसलमानों को लगता है कि मोदी सरकार ने राम मंदिर के निर्माण के मामले में बेहतरीन काम किया है।
एमआरएम के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने कहा, “सर्वेक्षण के परिणाम बताते हैं कि मुसलमान समाज में भी राम मंदिर के निर्माण को लेकर सकारात्मक भावनाएं हैं। मुसलमान भी चाहते हैं कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश बने और सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार मिलें।”
सर्वेक्षण के परिणामों को लेकर विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “यह सर्वेक्षण पूरी तरह से मनगढ़ंत है। मुसलमान समाज में राम मंदिर के निर्माण के विरोध में भावनाएं हैं।”
Ram Mandir: सर्वेक्षण के परिणामों का क्या मतलब है?
सर्वेक्षण के परिणामों को लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह सर्वेक्षण भारत में सांप्रदायिक सद्भाव की एक अच्छी तस्वीर पेश करता है। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि यह सर्वेक्षण पूरी तरह से मनगढ़ंत है और इसका कोई आधार नहीं है।
सर्वेक्षण के परिणामों को लेकर कुछ निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं:
- भारत में मुसलमान समाज में भी राम मंदिर के निर्माण को लेकर सकारात्मक भावनाएं हैं।
- मुसलमान भी चाहते हैं कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश बने और सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार मिलें।
- देश में सांप्रदायिक सद्भाव की स्थिति में सुधार हो रहा है।
हालांकि, यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि यह सर्वेक्षण केवल 10,000 लोगों पर आधारित है। (am Mandir) यह सर्वेक्षण देश के सभी मुसलमानों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।
वहीं संगठन ने कहा, ”तथाकथित उलेमा, मौलाना और विपक्षी नेता जो इस्लाम के नाम पर अपनी राजनीतिक किस्मत कमाने की कोशिश कर रहे हैं, उनका पूरी तरह से बॉयकॉट किया जाना चाहिए.”