Tehreek-e-Hurriyat Ban: मोदी सरकार केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में सक्रिय देश विरोधी (Tehreek-e-Hurriyat Ban) और अलगवावादी तत्वों के खिलाफ एक के बाद एक लगातार कड़े एक्शन ले रही है। आतंकी संगठनों के खिलाफ जहां आक्रमक सैन्य अभियान चलाया जा रहा है। वहीं, सामाजिक एवं राजनीतिक संगठन का मुखौटा पहनकर देश विरोधी साजिश में लिप्त संगठनों पर कानूनी शिकंजा कसा जा रहा है। इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने आज तहरीक-ए-हुर्रियत नामक संगठन को बैन किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी जानकारी दी है।
उन्होंने एक्स पर लिखा, तहरीक-ए-हुर्रियत, जम्मू-कश्मीर (TeH) को UAPA के तहत एक ‘गैरकानूनी संघ’ घोषित किया गया है। यह संगठन जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने और इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए निषिद्ध गतिविधियों में शामिल है। जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए भारत विरोधी दुष्प्रचार फैलाते हुए और आतंकी गतिविधियां जारी रखते हुए पाया गया है। उन्होंने आगे कहा कि आतंकवाद के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल किसी भी व्यक्ति या संगठन को तुरंत विफल कर दिया जाएगा।

Tehreek-e-Hurriyat Ban: संगठन पर क्या है आरोप?
भारत सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन में बताया गया कि तहरीक-ए-हुर्रियत जम्मू कश्मीर में अलगाववादी विचारधारा फैला रहा है। संगठन के लोग आतंकवादियों को श्रद्धांजलि देते हैं और पत्थरबाजी को बढ़ावा देते हैं। ये लोग भारतीय कानून का पालन नहीं करते हैं और जम्मू कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानते हैं। तहरीक-ए-हुर्रियत को अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेन्शन एक्ट (UAPA) के तहत गैरनकानूनी घोषित किया गया है। बताते चलें कि इस संगठन की स्थापना अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी द्वारा 7 अगस्त 2004 को की गई थी। गिलानी ने जमात-ए-इस्लामी कश्मीर छोड़ने के बाद इसकी स्थापना की थी।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के फैसले को सही करार दिए जाने के बाद से मोदी सरकार अब इस मसले पर और अधिक आक्रमक हो गई है। संसद में जम्मू कश्मीर से संबंधित कानूनों को पास करने के दौरान सरकार के तेवर से ये साफ झलक रहा था। आम चुनाव से पहले केंद्र ने कश्मीर में सक्रिय देश विरोधी संगठनों के खिलाफ एक्शन तेज कर दिया गया। चार दिन में तहरीक-ए-हुर्रियत दूसरा संगठन है, जिसे बैन किया गया है। इससे पहले 27 दिसंबर को मुस्लिम लीग जम्मू-कश्मीर (मसरत आलम ग्रुप) पर प्रतिबंध लगाया गया था। यूएपीए के तहत इस संगठन को पांच साल के लिए बैन किया गया है।