Ayodhya News: 1990 में, देश भर से कारसेवक अयोध्या में राम मंदिर के लिए कारसेवा करने जा रहे थे। इस कारसेवा को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव सरकार ने कड़े कदम उठाए। सरकार ने एक सप्ताह पहले ही अयोध्या, फैजाबाद, बाराबंकी, गोण्डा, लखनऊ जाने वाली बसें और ट्रेन रोक दी। गांव-गांव में निगरानी बढ़ा दी गई। खेत-खलिहान में, पगडंडियों पर भी पुलिस का पहरा लगा दिया गया।
हजारों सालों से चली आ रही चौदह कोसी, पंचकोसी परिक्रमा रोक दी गई। जबकि न्यायालय का आदेश था कि परिक्रमा में व्यवधान नहीं आना चाहिए। परिक्रमा शुरू नहीं हुई। अदालत से सरकार ने कहा कोई आया ही नहीं। परिक्रमा का क्रम टूटता देखकर साधु-संत सडक़ों पर निकल पड़े। उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर बेरहमी से पीटा गया। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।
Ayodhya News: लखनऊ से आगे जाने पर पास बनवाना पड़ता
लखनऊ से आगे जाने पर पास बनवाना पड़ता था। लखनऊ से अयोध्या की दूरी महज 130 किलोमीटर है। लेकिन लखनऊ से आगे बढ़ते ही लगता जैसे किसी युद्ध क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं। अयोध्या से दूरी घटती जाती और सुरक्षा बलों की तादात बढ़ती जाती। जगह-जगह ड्रम और बैरियर लगाकर रास्ता घेर दिया गया था। किसी को भी जाने की इजाजत नहीं थी। सिर्फ पत्रकार ही जा सकते थे।
इन कदमों के बावजूद, कारसेवकों ने मुलायम सरकार की चुनौती को स्वीकार किया। विहिप के अंतरराष्ट्रीय मंत्री अशोक सिंहल पुलिस की घेरेबंदी के बावजूद अयोध्या पहुंच चुके थे। अगले दिन, 30 अक्टूबर 1990 को, कारसेवकों पर पुलिस ने गोलियां चलाईं। इस गोलीकांड में 27 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हुए। यह गोलीकांड भारतीय इतिहास में एक काला अध्याय है। यह दिखाता है कि धार्मिक ध्रुवीकरण और राजनीति के कारण देश में कितना खून बहा है।