Supreme Court: नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 यानी CAA मामले से जुड़ी याचिकाओं पर मंगलवार (19 मार्च) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court on CAA) में सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। इस पर याचिकाकर्ताओं की वकील इंदिरा जयसिंह (Indira Jaising) ने दलील दी, कि CAA कानून पर रोक लगाई जाए।
इंदिरा जयसिंह ने मामले को बड़ी बेंच के समक्ष भेजने की भी गुजारिश की। शीर्ष अदालत ने दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद केंद्र को राहत दी। सीएए नोटिफिकेशन (CAA notification) पर फिलहाल रोक लगाने से सर्वोच्च न्यायालय ने इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ये भी कहा कि, वह 9 अप्रैल को मामले की सुनवाई करेगी। तब तक 3 हफ्ते के भीतर केंद्र सरकार अपना जवाब पेश करें।
Supreme Court: 236 याचिकाओं में से कितने पर नोटिस जारी किया?
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, ‘कुल 236 याचिकाओं में से कितने मामले में हमने नोटिस जारी किया है? हम शेष याचिकाओं पर भी नोटिस जारी कर तारीख दे देते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा, सरकार ने नोटिफिकेशन पर रोक की मांग वाली याचिका पर जवाब देने के लिए समय मांगा है। ऐसे में उन्हें समय देना चाहिए। पिटीशनर ने ये भी कहा कि, उस स्थिति में अधिसूचना के लागू होने पर रोक लगाई जानी चाहिए।’
सिब्बल- नागरिकता देना शुरू हुआ तो वापस लेना संभव नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि, केन्द्र सरकार कब तक जवाब दाखिल करेगी? इस पर एसजी तुषार मेहता ने कहा, ‘चार हफ्ते में जवाब दाखिल करेंगे’। जिस पर कपिल सिब्बल (Kapil Sibal on CAA) ने कहा कि, नोटिफिकेशन चार साल 3 महीने बाद जारी हुए हैं। अगर, नागरिकता देना शुरू हुआ तो उसे वापस लेना संभव नहीं होगा। ऐसे में नोटिफिकेशन पर रोक लगाई जाए।’
कपिल सिब्बल ने ये कहा, ‘नोटिफिकेशन पर रोक लगाई जाए। कुछ लोगों को नागरिकता दी गई है। उन्होंने तर्क दिया यदि रोक नहीं लगाई गई, तो इन याचिकाओं का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा, चाहे किसी को नागरिकता मिले या न मिले, याचिकाकर्ताओं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। इस पर याचिकाकर्ता की वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा, यह मामला संवैधानिक जांच (Constitutional Enquiry) का है।’
बलूचिस्तान के शख्स ने पूछा सवाल
हालांकि, बलूचिस्तान से एक शख्स की ओर से रंजित कुमार ने कहा, ‘अगर हमें नागरिकता मिलती है तो किसी को क्या परेशानी है? इस पर इंदिरा जयसिंह बोलीं, वोटिंग का अधिकार से। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) अदालत के समक्ष मामला नहीं है, केवल CAA है। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 8 अप्रैल तक जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी।
निजाम पाशा- मुसलमानों की नागरिकता पर खतरा
सुनवाई के दौरान वकील निजाम पाशा (Nizam Pasha, Advocate) ने कहा, ‘CAA की वजह से मुसलमानों की नागरिकता पर खतरा है। जवाब में सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘ये एनआरसी नहीं है। पहले भी लोगों को इसी तरह गुमराह कर उकसाया गया था। ये गलत है। इस पर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि, दोनों पक्ष 5-5 पन्ने का लिखित संक्षिप्त नोट जमा करवाएं। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘क्या यह (सॉलिसिटर जनरल) बयान देंगे कि अभी किसी को नागरिकता नहीं देंगे? इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ऐसे किसी बयान की कोई जरूरत नहीं।’