Bihar Political Crisis : बिहार में सियासी संकट जारी है। जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के 4 विधायक हैं। पहले तो मांझी ने कहा कि वह एनडीए के साथ हैं, लेकिन अब उन्होंने दो मंत्री पदों की मांग कर दी है।
Bihar Political Crisis : मांझी करने लगे मोल-भाव
मांझी के रुख बदलने से बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है। अगर मांझी महागठबंधन में शामिल हो जाते हैं, तो महागठबंधन के पास 118 विधायक हो जाएंगे। इसमें आरजेडी के 79, कांग्रेस के 19 और लेफ्ट के 16 विधायक भी शामिल हैं। अगर एआईएमआईएम का एक और एक निर्दलीय विधायक भी महागठबंधन के साथ जाते हैं तो ये आंकड़ा 120 तक पहुंच जाएगा। हालांकि उसके बाद भी सरकार बनाने के लिए 2 विधायकों की जरूरत पड़ेगी।
लेकिन अगर मांझी एनडीए में ही रहते हैं, तो एनडीए के पास 122 विधायक हो जाएंगे। इसमें बीजेपी के 74, जेडीयू के 43 और HAM के 4 विधायक भी शामिल हैं। ऐसे में एनडीए के पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्या बल होगा। मांझी के रुख के बाद क्या होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन उनकी मांगों को देखते हुए ऐसा लगता है कि वह महागठबंधन में शामिल होने की संभावना कम है।
Bihar Political Crisis : क्यों अहम जीतन राम मांझी ?
जीतन राम मांझी के लिए कहा जा रहा था कि वह आरजेडी की नैया पार लगाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं, साथ ही वह एनडीए के लिए भी बेहद अहम हैं। क्योंकि जीतनराम की पार्टी एचएएम के 4 विधायक हैं, अगर आरजेडी उन्हें अपने पाले में ले लेती है, तो महागठबंधन 118 सीटों का आकंड़ा छू लेगा। इसमें आरजेडी के 79, कांग्रेस के 19 और लेफ्ट के 16 विधायक भी शामिल हैं। अगर एआईएमआईएम का एक और एक निर्दलीय विधायक भी महागठबंधन के साथ जाते हैं तो ये आंकड़ा 120 तक पहुंच जाएगा। हालांकि उसके बाद भी सरकार बनाने के लिए 2 विधायकों की जरूरत पड़ेगी। हालांकि जीतनराम मांझी ने बिहार के सियासी संकट पर कहा था कि राजनीति में कोई किसी का दोस्त नहीं है और कोई किसी का परमानेंट दुश्मन नहीं होता है। वहीं, बीजेपी के सहयोगी और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन ने दावा किया है कि बिहार सरकार एक-दो दिन में गिर सकती है।
Bihar Political Crisis : मांझी के रुख से क्या संदेश मिलता है?
मांझी के रुख से यह संदेश मिलता है कि बिहार में सियासी संकट अभी खत्म नहीं हुआ है। यह संकट और बढ़ सकता है। मांझी का रुख बदलने से यह भी पता चलता है कि बिहार की राजनीति में दलगत राजनीति हावी है। दल अपनी-अपनी स्वार्थी राजनीति कर रहे हैं। मांझी के रुख से बिहार की जनता पर भी असर पड़ेगा। अगर बिहार में सरकार नहीं बनती है, तो राज्य में विकास कार्य प्रभावित हो सकते हैं।