Delhi Excise Policy: दिल्ली शराब घोटाला मामले में आरोपी आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कल, 30 अक्टूबर को अपना फैसला सुनाएगा। सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा था कि जांच एजेंसी के पास इस पूरे प्रकरण में सिसोदिया से सीधे जुड़ा कोई साक्ष्य नहीं है। सभी साक्ष्य दस्तावेजी प्रकृति के हैं। सिसोदिया को सलाखों के पीछे रखने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि वो राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन से जुड़े हैं। इसलिए उनके भागने का भी कोई खतरा नहीं है।
उल्लेखनीय है कि AAP नेता सिसोदिया को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) दोनों ने जांच की जा रही उत्पाद नीति मामलों में 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था। तब से वह हिरासत में हैं। ED ने तिहाड़ जेल में उनसे पूछताछ के बाद 9 मार्च को CBI की एफआईआर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने 28 फरवरी को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।
Delhi Excise Policy: सिसोदिया के खिलाफ लगे है आरोप गंभीर
दिल्ली हाईकोर्ट ने 30 मई को CBI मामले में मनीष सिसोदिया को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री के पद पर रहने के नाते, वह एक ‘प्रभावशाली’ व्यक्ति हैं तथा वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने धनशोधन मामले यानी मनी लॉन्ड्रिंग में तीन जुलाई को उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ आरोप ‘बहुत गंभीर प्रकृति’ के हैं।
सिसोदिया की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला राजनीतिक गलियारों में भी सुर्खियों में है। AAP का आरोप है कि यह मामला राजनीतिक प्रतिशोध है, जबकि भाजपा का कहना है कि सिसोदिया के खिलाफ लगे आरोप गंभीर हैं। मनीष सिसोदिया की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके राजनीतिक भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण होगा। अगर उन्हें जमानत मिल जाती है, तो वह AAP में सक्रिय राजनीति में वापसी कर सकते हैं।