Loksabha Election: लोकसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी में भगदड़ जैसी स्थिति है। एक-एक कर पार्टी के सांसद पाला बदलते जा रहे हैं। पार्टी के वो नेता भी साथ छोड़ने को आतुर हैं, जिनको लेकर आगामी चुनाव में बसपा मजबूत दांव चल सकती थी। अब बसपा नेता गुड्डू जमाली के पार्टी छोड़ने की अटकलें हैं। जमाली समाजवादी पार्टी के संपर्क में बताए जा रहे हैं और बहुत जल्द हाथी से उतरकर (Loksabha Election) साइकिल की सवारी कर सकते हैं। आजमगढ़ के मुस्लिम मतदाताओं में जमाली का खासा प्रभाव माना जाता है।
2022 का उपचुनाव हराने के बावजूद पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने ऐलान कर रखा था कि 2024 का लोकसभा चुनाव वो आजमगढ़ से बसपा के टिकट पर लड़ेंगे। उन्होंने यहां तक दावा किया था कि इस सीट पर आगामी आम चुनाव में भी सपा की हार तय है। ऐसे में अगर जमाली चुनाव से ऐन पहले बसपा का साथ छोड़ते हैं तो ये पार्टी के लिए इस क्षेत्र में बड़ा झटका होगा।
Loksabha Election: बसपा ने उपचुनाव में बनाया था उम्मीदवार
2022 के विधानसभा में करहल सीट से चुनाव जीतने के बाद सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था। 2019 में उन्होंने आजमगढ़ लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी। जिसके कारण इस सीट पर उपचुनाव कराना पड़ा था। सपा की ओर से जहां पूर्व सांसद और अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेंद यादव मैदान में थे तो बीजेपी ने भोजपुरी स्टार दिनेशलाल यादव उर्फ निरहुआ को टिकट दिया था।
वहीं, बसपा ने कद्दावर नेता गुड्डू जमाली को टिकट दिया। बताया जाता है कि उन्हीं के मैदान में उतरने के बाद सपा की जीत की राह मुश्किल हो गई और बीजेपी ने अंततः अखिलेश यादव के इस गढ़ को ध्वस्त कर दिया । जमाली इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे। गुड्डू जमाली आजमगढ़ की मुबारकपुर विधानसभा सीट से दो बार (2012 और 2017) विधायकी का चुनाव जीत चुके हैं। नवंबर 2021 में उन्होंने बसपा से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, बाद में वो फिर पार्टी में शामिल हो गए थे।
गुड्डू जमाली के समाजवादी पार्टी में आने से आजमगढ़ और आसपास की सीटों पर मुस्लिम – यादव समीकरण मजबूत होगा। इससे सपा वापस अपने इस गढ़ को हासिल कर सकती है। बदायूं से टिकट कटने के बाद अटकलें हैं कि धर्मेंद यादव को यहां शिफ्ट किया जा सकता है। सपा की पहली लिस्ट में धर्मेंद यादव को बदायूं से टिकट दिया गया था, हालांकि तीसरी लिस्ट में उनकी जगह शिवपाल यादव को उम्मीदवार बनाया गया। इस सीट से वर्तमान में बीजेपी की संघमित्रा मौर्य सांसद हैं, जो कि स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं।
बहुजन समाज पार्टी के कई जनाधार वाले नेताओं का सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी में सपा में पलयान हो चुका है। बचे नेता भी बेहतर सियासी भविष्य के लिए जाने को बेताब हैं। 2019 में पार्टी के सिंबल पर जीते 10 में से चार सांसद दूसरे पाले में करीब-करीब जा चुके हैं। बाकी के भी डील फाइनल करने में जुटे हैं। लगातार जनाधार वाले नेताओं का पलायन बीएसपी को अवसान की तरफ धकेल रहा है। मायावती और उनके उत्तराधिकारी भतीजे आकाश आनंद इस चुनौती से पार्टी को कैसे बाहर निकालते हैं, इस पर सबकी नजरें रहेंगी।
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