Pramod Krishnam: आचार्य प्रमोद कृष्णम को आखिरकार कांग्रेस पार्टी (Pramod Krishnam) से बाहर का रास्ता दिखा गया है। उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया गया है। यूपी कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार कल्कि धाम के पीठाधीश्वर भी हैं। पिछले काफी समय से उनकी ओर से जो बयान आ रहे थे, उनमें कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर तीखा प्रहार होता था। वह लगातार पार्टी की रीति-नीति की आलोचना कर रहे थे और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं भाजपा की जमकर तारीफ कर रहे थे।
कांगेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से शनिवार को एक बयान जारी कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि अनुशासनहीनता और पार्टी के खिलाफ बार-बार बयान देने की शिकायतों को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रमोद कृष्णम को तत्काल प्रभाव से निष्कासित करने करने के यूपी कांग्रेस कमेटी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
Pramod Krishnam: कौन हैं आचार्य प्रमोद कृष्णम?
ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णम का जन्म चार जनवरी 1965 को संभल जिले के एंचोड़ा गांव में हुआ था। वह कांग्रेस में लंबे समय से सक्रिय है, लेकिन हाल – फिलहाल में उनकी ओर से जिस तरह की बयानबाजी आई है, उसने उन्हें पार्टी में पूरी तरह से अलग-थलग कर दिया है। प्रमोद कृष्णम ने राम मंदिर से लेकर सनातन विवाद समेत तमाम छोटे-बड़े मुद्दों पर पार्टी के रूख की कटु आलोचना की है। अयोध्या में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में वे शामिल भी हुए थे और कार्यक्रम में भाग न लेने पर कांग्रेस की आलोचना की थी।
इसलिए जब वो पिछले दिनों पीएम मोदी से मिले तो उनकी बीजेपी में जाने की अटकलें जोर पकड़ने लगीं। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक लेटर भी वायरल हुआ, जिसमें दावा किया गया कि कांग्रेस से उन्हें निलंबित कर दिया गया है। हालांकि, कांग्रेस पार्टी की ओर से तब इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया था।
बात करें उनके अब तक के सियासी सफर की तो आचार्य प्रमोद कृष्णम कांग्रेस के टिकट पर दो लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। दोनों में उन्हें हार मिली। 2014 में संभल से उन्होंने पहला चुनाव लड़ा और दूसरी बार 2019 में लखनऊ से राजनाथ सिंह के खिलाफ इलेक्शन लड़ा था। इन दिनों बीजेपी की जमकर तारीफ करने वाले कृष्णम को कांग्रेस ने साल 2020 के एमपी उपचुनाव में अपना स्टार कैंपेनर बनाया था।