Delhi News: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बृहस्पतिवार को भलस्वा लैंडफिल साइट का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने ऐलान किया कि अगले साल मार्च तक भलस्वा से कूड़े का पहाड़ खत्म हो जाएगा। भलस्वा लैंडफिल साइट से दिसंबर तक 30 लाख मीट्रिक टन कूड़ा उठाया जाएगा और मार्च-अप्रैल तक पूरा कूड़ा खत्म कर दिया जाएगा। यहां बुधवार से नौ हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन कूड़ा उठ रहा है, जिसे मार्च के अंत तक दोगुना कर दिया जाएगा। उनके साथ शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज, महापौर शैली ओबराय, उपमहापौर आले इकबाल मौजूद थे।
इस मौके पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले 30 सालों में भलस्वा लैंडफिल साइट एक बड़ा कूड़े का पहाड़ बन गया है। पूरी दिल्ली का कूड़ा यहां आता है। इस कूड़े के पहाड़ को हटाने का कार्य चल रहा है। एनजीटी के आदेश के बाद वर्ष 2019 में यहां से कूड़ा हटाया जाना शुरू हुआ। (Delhi News) उस समय भलस्वा लैंडफिल साइट पर करीब 80 लाख मीट्रिक टन कूड़ा मौजूद था। वर्ष 2019 से लेकर आजतक 30 लाख मीट्रिक टन कूड़ा हटाया जा चुका है, जबकि अभी 50 लाख मीट्रिक टन साइट पर पड़ा है। लगभग दो-ढाई साल में 30 लाख मीट्रिक टन कूड़ा हटाया जा सका है, मगर अब दिसंबर तक 30 लाख मीट्रिक टन कूड़ा हटाने का लक्ष्य रखा है और अगले साल मार्च-अप्रैल तक लैंडफिल साइट पर बचा 50 लाख मीट्रिक टन कूड़े को हटा दिया जाएगा। अब कूड़ा हटाने का कार्य दोगुनी गति से चल रहा है।
उन्होंने कहा कि लैंडफिल साइट पर आ रहे कूड़े का अलग से इंतजाम किया गया है। इस कूड़े के निपटान की अतिरिक्त व्यवस्था की गई है और लगातार उसको डिस्पोज किया जा रहा है। दिल्ली में प्रतिदिन करीब 11 हजार मीट्रिक टन कूड़ा बनता है। उसमें से 8100 मीट्रिक टन से अधिक कूड़े के डिस्पोजल का इंतजाम है। वहीं, करीब 2800 मीट्रिक टन कूड़ा रोजाना बच रहा है। इसके लिए ओखला में एक हजार मीट्रिक टन का अतिरिक्त क्षमता बढ़ाने का काम चल रहा है। इस कूड़े को डिस्पोज करने के लिए बवाना में दो हजार मीट्रिक टन का वेस्ट टू एनर्जी प्लांट बन रहा है, जो 2026 तक बनकर तैयार हो जाएगा। तब तक नये कूड़े को प्रतिदिन डिस्पोज करने के लिए अस्थाई व्यवस्था की है। भलस्वा साइट से 10 हजार मीट्रिक प्रतिदिन लेगेसी वेस्ट उठता है और प्रतिदिन आने वाले दो हजार मीट्रिक टन कूड़े को डिस्पोज किया जाता है।
भलस्वा लैंडफिल साइट की मुख्य बातें
भलस्वा लैंडफिल साइट 28 साल पुरानी साइट है। यह 70 एकड़ में फैली है। इस लैंडफिल की ऊंचाई जमीन से 65 मीटर थी। जब 2019 में सर्वेक्षण किया गया, तो इसमें 80 लाख मीट्रिक टन कूड़ा पाया गया। तब से साइट पर 24 लाख मीट्रिक टन नया कूड़ा डंप किया गया है और वहां 30.48 लाख मीट्रिक टन कचरे का बायोमाइनिंग किया गया है। बायोमाइनिंग के दौरान लेगेसी वेस्ट को तीन घटकों, इनर्ट वेस्ट, कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट और रिफ्यूज डेराइव्ड फ्यूल में अलग किया जाता है, इसमें से निष्क्रिय और सीएंडडी कचरे का उपयोग दिल्ली और उसके आसपास एनएचएआई की परियोजनाओं में खाली भूमि को भरने में किया जा रहा है। अपशिष्ट व्युत्पन्न ईंधन का उपयोग सीमेंट कारखानों, बिजली संयंत्रों और प्लास्टिक पुनर्चक्रण संयंत्रों में किया जा रहा है।