
Lucknow News: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी ने मोदी सरकार पर गरीब किसानों के बढ़ते कर्ज के मुद्दे को लेकर तीखा हमला करते हुए कहा कि सरकारी योजनाओं का सही लाभ न मिल पाने के कारण किसानों की हालत और भी बदतर हो गई है। (Lucknow News) उन्होंने महाराष्ट्र के लातूर जिले का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां के एक गरीब किसान को खेती के लिए बैल तक नसीब नहीं हो पाए, जो कि एक बेहद दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।
Lucknow Today News: लातूर में बुजुर्ग किसान की मेहनत की तस्वीर ने दिलों को छुआ
प्रमोद तिवारी ने लातूर जिले के अंबादास पवार का जिक्र किया, जो गरीबी के कारण अपने बैल बेचने को मजबूर हो गए थे। अब वे अपनी पत्नी मुक्ताबाई के साथ खेतों में खुद हल चलाकर खेती कर रहे हैं। (Lucknow News) इस दृश्य को प्रमोद तिवारी ने शर्मनाक और असहनीय करार दिया और कहा कि यह तस्वीर देश की अर्थव्यवस्था की असल हालत को दर्शाती है। प्रमोद तिवारी ने प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आंकड़ेबाजी से देश को तीसरी अर्थव्यवस्था बनाने का दावा करने वाली सरकार इस वास्तविकता को नजरअंदाज कर रही है।
राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने बताया कि महाराष्ट्र में कर्ज़ के बोझ तले दबे 767 किसानों ने आत्महत्या की। जो एक बेहद गंभीर चिंता का विषय है। (Lucknow News) उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पिछले दो वर्षों में प्रति व्यक्ति का कर्ज 90 हजार रुपये से बढ़कर 4.8 लाख रुपये तक पहुंच गया है। इसके परिणामस्वरूप किसानों और गरीबों की स्थिति और भी कठिन हो गई है, जबकि सरकार द्वारा इन मुद्दों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
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मोदी सरकार पर कड़ी आलोचना
प्रमोद तिवारी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह केवल आंकड़े और झूठे दावे पेश कर रही है, जबकि असल में देश की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल है। चंद पूंजीपतियों के मुनाफे के बीच आम आदमी और किसान कर्ज़ के चंगुल में फंसे हुए हैं। (Lucknow News) उन्होंने मोदी सरकार से देशवासियों और किसानों से जल्द माफी मांगने की कड़ी मांग उठाई, ताकि उनकी स्थिति में कुछ सुधार हो सके।
कर्ज का बोझ और विदेशी कर्ज की चिंता
राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि सरकार की खराब आर्थिक नीतियों के कारण विदेशी कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है और आम आदमी की आमदनी का एक बड़ा हिस्सा इसे चुकाने में खर्च हो रहा है। वर्तमान में इस कर्ज का 25.7 प्रतिशत आम जनता की आय में से खर्च हो रहा है, जो एक गंभीर आर्थिक संकट का संकेत है।