Ramcharitmanas Comment Case : अक्सर अपने बयानों को लेकर विवादों से घिरे रहने वाले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किलें अब बढ़ने वाली हैं। हिंदू धर्मग्रंथ रामचरितमानस को लेकर अपमाजनक टिप्पणी करने के मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द कराने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मौर्य को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने FIR रद्द करने से इनकार करते हुए सपा नेता की याचिका को खारिज कर दिया है।
Ramcharitmanas Comment Case : रामचरितमानस को लेकर की थी विवादित टिप्पणी
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी उनकी इस मांग से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके खिलाफ मौर्य शीर्ष अदालत पहुंचे। अब सर्वोच्च न्यायालय ने भी उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया है। ऐसे में अब रामचरितमानस को लेकर की गई विवादित टिप्पणी के मामले में दर्ज मुकदमे का उन्हें सामना करना पड़ेगा।
दरअसल, स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीते साल रामचरितमानस को दलित,पिछड़ा एवं महिला विरोधी बताते हुए उस पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर डाली थी। उन्होंने मानस के रचियता तुलसीदास के खिलाफ भी अपमानजनक टिप्पणी की। मौर्य ने कहा था कि या तो मानस से विवादित चौपाईयों को हटा दिया जाए या तो पूरे ग्रंथ को ही प्रतिबंधित कर दिया जाए। उनके इस बयान पर जमकर सियासी बवाल हुआ।

अयोध्या के साधु-संत से लेकर तमाम हिंदू संगठन सड़कों पर उतर गए और उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। समाजवादी पार्टी के अंदर से भी उनके खिलाफ आवाज उठने लगीं। इसके बावजूद मौर्य ने अपना बयान वापस लेने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं उनके समर्थकों ने मानस की कुछ प्रतियों को जलाकर मामले को और तूल दे दिया।
Ramcharitmanas Comment Case : एक फरवरी 2023 को दर्ज हुआ मुकदमा
पूर्व कैबिनेट मंत्री और सपा के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य, सपा विधायक आरके वर्मा समेत अन्य के खिलाफ वकील संतोष कुमार मिश्रा की शिकायत पर प्रतापगढ़ जिले ने प्राथमिकी दर्ज की थी। पुलिस ने मौर्य के खिलाफ लोअर कोर्ट में चार्जशीट पेश किया, जिसके बाद अदालत से उन्हें समन जारी हुआ। कोर्ट ने उन्हें मुकदमे का सामना करने के लिए पेश होने को कहा।

स्वामी प्रसाद मौर्य इसके खिलाफ हाईकोर्ट चले गए। जहां उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक कारणों से उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं था, इसलिए अगर उन्हें मुकदमे का सामना करना पड़ा तो यह उचित नहीं होगा। हालांकि, हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उनकी इस दलील को ठुकराते हुए आपराधिक कार्रवाई को रद्द करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। उच्च न्यायालय ने सपा नेता को नसीहत देते हुए कहा था कि स्वस्थ आलोचना का मतलब यह नहीं है कि ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाए जो लोगों की भावनाओं को आहत करें।

Ramcharitmanas Comment Case : राम मंदिर में हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह का उड़ाया मजाक
बता दें कि पिछले दिनों भी सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने अयोध्या के राम मंदिर में हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह की खिल्ली उड़ाते हुए कहा था कि जो परिवार के सदस्य मर गए हैं, उनकी प्राण प्रतिष्ठा की जानी चाहिए, फिर वे हमेशा जीवित रह सकते हैं। यदि प्राण प्रतिष्ठा से पत्थर जीवित हो सकता है तो मृत व्यक्ति चल क्यों नहीं सकता ? यह सब दिखावा और पाखंड है… लोग सोचते हैं कि वे महान हैं प्राण प्रतिष्ठा करके भगवान से भी।