Jhansi Medical College fire Case: झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के विशेष नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र (एसएनसीयू) में शुक्रवार को हुए अग्निकांड की जांच रिपोर्ट मंडलायुक्त बिमल कुमार दुबे ने शासन को भेज दी है। इसमें आपराधिक कृत्य या लापरवाही सामने नहीं आई है। (Jhansi Medical College fire Case) अग्निकांड की वजह प्लग से हुई स्पार्किंग को बताया गया है। रिपोर्ट में घटना के वक्त वार्ड में मौजूद स्टाफ के आठ लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा भर्ती नवजातों के 10 परिजन के बयान भी लिए गए हैं।
आग के दौरान बचाए गए एक नवजात ने रविवार को उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। अब मरने वाले नवजातों का आंकड़ा 11 पहुंच गया है। डॉक्टरों का कहना है कि नवजात की मृत्यु गंभीर बीमारी से हुई है।
इसके अलावा शासन की ओर से मृत व घायल नवजातों के परिजन को सहायता राशि भी उपलब्ध करा दी गई है। (Jhansi Medical College fire Case) छह दंपतियों को उनके नवजात सौंप दिए गए। बाकी 31 बच्चों का इलाज चल रहा है। शुक्रवार की रात एसएनसीयू में आग लग गई थी, जिसमें 10 नवजातों की मौत हो गई थी। अन्य को बचाकर दूसरी जगह भर्ती कराया गया था। रविवार को उपचार के दौरान बांदा के अलीगंज निवासी लक्ष्मी पत्नी भोला के नवजात की मौत हो गई।
Jhansi Medical College fire Case: आज आएगी लखनऊ से टीम
शासन ने चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक किंजल सिंह की अध्यक्षता में चार सदस्यीय टीम बनाई है। यह टीम यहां सोमवार को पहुंचेगी। इसे सात दिन में रिपोर्ट देनी है। टीम में स्वास्थ्य विभाग के निदेशक, अपर निदेशक विद्युत एवं अग्निशमन महानिदेशक की ओर से नामित अधिकारी शामिल हैं। यह कमेटी आग लगने के कारणों और लापरवाही की पहचान करेगी। साथ ही भविष्य में इस तरह की घटना न हो, इसके लिए बचाव की सिफारिश भी करेगी।
अग्निकांड के दरम्यान वार्ड में भर्ती 49 बच्चों की प्रशासन ने सूची जारी कर दी है। इनमें से 11 बच्चों की मौत हो चुकी है। जबकि, 6 बच्चे परिजन को सौंप दिए गए हैं, बाकी 32 नवजात का इलाज जारी है। (Jhansi Medical College fire Case) गुम हुए बच्चों की वजह से असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। (Jhansi Medical College fire Case) रविवार को आखिरी गुम हुए बच्चे को उसकी मां को सौंपने के बाद स्थिति स्पष्ट हो गई है। हादसे के तुरंत बाद मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती बच्चों की संख्या 55 बताई गई थी। लेकिन, बाद में प्रशासन ने बच्चों की संख्या 49 गिनाई थी। इससे माना जा रहा था कि हादसे के दरम्यान मची अफरातफरी में छह बच्चे गुम हो गए।
इसके बाद हुई जांच में सामने आया कि जिन बच्चों को गुम माना जा रहा था, वे उन्हीं 49 नवजातों में शामिल थे, जो हादसे के दरम्यान वार्ड में भर्ती थे। इन बच्चों की तलाश की गई। इनमें से एक बच्चा ललितपुर में मिला। ललितपुर का दंपती उसे अपना समझते हुए ले गया था, जबकि उनके बच्चे की हादसे में मौत हो गई थी। महोबा के एक दंपती का बच्चा निजी अस्पताल में भर्ती पाया गया था। इसी तरह झांसी के कृपाराम की पत्नी शांति का बच्चा महोबा के भोलाराम की पत्नी लक्ष्मी के पास पाया गया।
घटना के बाद से वह उस बच्चे को अपना समझते हुए एक निजी अस्पताल में उसका इलाज करा रही है। जबकि, लक्ष्मी का बच्चा मेडिकल कॉलेज में भर्ती पाया गया। प्रशासन का कहना है कि हमीरपुर निवासी याकूब की पत्नी नजमा की दो बेटियों की हादसे में मौत हो गई थी। (Jhansi Medical College fire Case) तत्काल इसकी सूचना दंपती को नहीं दी गई थी, जिससे वे दोनों बच्चियों को गुम मान रहे थे। लेकिन, बाद में पोस्टमार्टम के बाद दोनों बच्चियों के शव परिजन को सौंप दिए गए।
इस संबंध में जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि हादसे के दरम्यान वार्ड में 49 बच्चे ही भर्ती थे। इनमें से 10 बच्चों की घटना वाले दिन ही मौत हो गई थी। रविवार को इलाज के दौरान मृत नवजात आग से झुलसा नहीं था, फिर भी शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। (Jhansi Medical College fire Case) मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एनएस सेंगर ने बताया मृत नवजात प्रिमेच्योर था। उसका वजन करीब एक किलो था। वह आग से नहीं झुलसा था। नवजात बर्थ एस्फिक्सिया की वजह से मरा है।
18 बच्चों का मेडिकल कॉलेज में इजाज चल रहा है। सात बच्चों का नर्सिंग होम में, एक बच्चे का जिला अस्पताल एवं एक बच्चे का मऊरानीपुर में उपचार कराया जा रहा है।-डॉ. एनएस सेंगर, प्रधानाचार्य, मेडिकल कॉलेज