Russia Iran secret meeting: दुनिया की घड़ियां थम गई थीं, जब 23 जून की रात एक ऐसा धमाका हुआ, जिसने महाशक्तियों की नींव हिलाकर रख दी। वो रात सिर्फ ईरान और इजराइल के युद्ध की कहानी नहीं थी, बल्कि वह रात थी जब अमेरिका की सुपरपावर वाली छवि एक झटके में चकनाचूर हो गई। दुनिया हिल गई, जब तेहरान से एक ही झटके में दो बातें सामने आईं — पहली, इजराइल के कई शहरों पर मिसाइलों की बरसात और दूसरी, अमेरिका के सबसे बड़े एयरबेस अल उदैद पर सीधे मिसाइल हमले! क्या आप सोच सकते हैं? जिस अमेरिका के नाम से दुनिया कांपती थी, उसके सैन्य अड्डे पर तेहरान से हमला? और सबसे हैरान करने वाली बात — यह सब अचानक नहीं हुआ, बल्कि इसकी स्क्रिप्ट मॉस्को में लिखी गई थी। (Russia Iran secret meeting) जी हां, रूस की राजधानी में बैठकर वो योजना बनी जिसने वाशिंगटन की दीवारों में दरार डाल दी।

Russia Iran secret meeting: रूस-ईरान की गुप्त बैठक और परमाणु प्लान
23 जून की दोपहर, जब दुनिया गर्मियों में आराम कर रही थी, उसी वक्त रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची के बीच एक ऐसी गुप्त बैठक हुई, जिसने पूरी दुनिया का गेम बदल दिया। शाम होते-होते मिसाइलें उड़ने लगीं, धमाकों की गूंज कतर से लेकर तेल अवीव तक सुनाई दी। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। रूस के डिप्टी चेयरमैन दिमित्री मेदवेदेव ने खुलेआम अमेरिका को धमकी दी कि ईरान को परमाणु हथियार देने के लिए कई देश तैयार हैं। (Russia Iran secret meeting) एक पल को तो खुद ट्रंप भी चौंक गए। व्हाइट हाउस में बैठकर ट्रंप ने पूछा — क्या मेदवेदेव ने वाकई ये कहा है? या मेरी कल्पना है? (Russia Iran secret meeting) लेकिन कल्पना नहीं, हकीकत थी। और हकीकत ये थी कि रूस पूरी प्लानिंग कर चुका था — ईरान तक टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन पहुंचाने की। यह सिर्फ धमकी नहीं थी, बल्कि एक सीधा संदेश था कि अगर अमेरिका ने आगे बढ़ने की कोशिश की, तो ईरान के पीछे पूरी दुनिया खड़ी है — रूस, चीन, नॉर्थ कोरिया और अमेरिका के अपने ही पड़ोसी लैटिन अमेरिकी देश।
अमेरिका के लिए सबसे डरावना सपना
अमेरिका के लिए इससे बड़ा झटका और क्या हो सकता था कि उसके सबसे करीबी सहयोगी इजराइल पर ईरान ताबड़तोड़ हमले कर रहा था और खुद अमेरिका का सैन्य अड्डा मलबे में तब्दील हो रहा था। सीधा हमला! और ट्रंप के सामने विकल्प खत्म हो गए थे। (Russia Iran secret meeting) यही वजह थी कि 23 जून की रात 3 बजकर 32 मिनट पर, अमेरिका ने सीजफायर का ऐलान कर दिया। लेकिन ये सीजफायर एक अस्थायी पट्टी है। जख्म गहरे हैं, और सवाल अब भी हवा में तैर रहा है — क्या यह सीजफायर टिकेगा? या अगली बार बटन दबेगा तो परमाणु जंग छिड़ जाएगी?
दुनिया के सामने ‘महासंग्राम’ का ट्रेलर
तेहरान से लेकर मॉस्को तक जिस रणनीति को अंजाम दिया गया, वो केवल इजराइल को सबक सिखाने के लिए नहीं थी, बल्कि ये संदेश था पूरी दुनिया के लिए — महाशक्तियों का युग खत्म होने वाला है। (Russia Iran secret meeting) अमेरिका और उसके सहयोगियों को अब एक नए वर्ल्ड ऑर्डर के लिए तैयार रहना पड़ेगा। रूस और चीन, ईरान के साथ मिलकर वो जाल बुन चुके हैं, जो वॉशिंगटन को अपने ही आंगन में घेरने की तैयारी में है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने साफ कह दिया है कि रूस इस सीजफायर का समर्थन करता है, लेकिन “हम गारंटी नहीं देते कि ये सीजफायर टूटेगा नहीं।” और यही बात पूरी दुनिया के लिए चेतावनी है।
हेग में जमा हुआ NATO, लेकिन डर के साये में
अभी हेग में NATO समिट चल रही है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली से लेकर तुर्किए तक — सारे नेता वहां हैं। (Russia Iran secret meeting) लेकिन जिस तरह से 23 जून की रात ईरान ने मिसाइलों की बारिश कर दी, अब NATO नेताओं के चेहरों पर हवाइयां उड़ रही हैं। उनके सामने अब केवल दो विकल्प हैं — या तो रूस-ईरान गठजोड़ के सामने झुक जाएं, या फिर तैयारी करें उस युद्ध के लिए जिसका अंत परमाणु तबाही से होगा।
अगला कदम क्या होगा?
तेहरान ने बता दिया कि वो झुकने वाला नहीं है। रूस ने बता दिया कि वो पीछे हटने वाला नहीं है। और ट्रंप? ट्रंप ने मजबूरी में सीजफायर तो कर लिया, लेकिन दुनिया जानती है — ये खामोशी तूफान से पहले वाली है। (Russia Iran secret meeting) और अगर यह तूफान उठा, तो अगला निशाना सिर्फ इजराइल या अमेरिका का कोई एयरबेस नहीं होगा — अगला निशाना हो सकता है पूरा वॉशिंगटन डीसी! महासंग्राम अब बस एक चिंगारी की दूरी पर है… और वो चिंगारी कहीं से भी भड़क सकती है। क्या दुनिया 2025 में ही तीसरे विश्वयुद्ध की दहलीज पर खड़ी हो गई है? अब जवाब सिर्फ वक्त देगा — या फिर अगली मिसाइल।